DR.BHIMRAO AMBEDKAR BIOGRAPHY IN HINDI

डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जीवनी 

नाम – डॉ. भीमराव अम्बेडकर

पूरा नाम – डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर 
प्रसिद्ध नाम – बाबा साहेब
जन्म – 14 अप्रैल, 1891
जन्म स्थान – महू, इंदौर जिला, मध्य प्रदेश, भारत
मृत्यु – 6 दिसम्बर 1956 (उम्र 65)
मृत्यु स्थान – दिल्ली, भारत
माता – भीमाबाई
पिता – रामजी मालोजी सकपाल
शिक्षा – बीए., एमए., पीएच.डी., एम.एससी., डी. एससी., एलएल.डी., डी.लिट., बार-एट-लॉ
शिक्षा प्राप्त की – मुंबई विश्वविद्यालय, भारत कोलंबिया विश्वविद्यालय, अमेरिका लंदन विश्वविद्यालय, यु. के. लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, यु. के. बर्लिन विश्वविद्यालय, जर्मनी
धार्मिक मान्यता – बौद्ध धर्म
विवाह – दो बार, प्रथम रमाबाई के साथ (1908 में) और दूसरा डॉ. सविता कबीर के साथ (1948 में)
पुरस्कार और सम्मान – भारत रत्न

भारत के सविंधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय:


जब हमारे देश भारत में छुआछुत, भेदभाव, उचनीच जैसे अनेक सामाजिक कुरीतियाँ अपने चरम अवस्था पर थी ऐसे में इन बुराईयों को दूर करने में भीमराव अम्बेडकर का अतुल्य योगदान माना जाता है जिसके कारण भीमराव अम्बेडकर को दलितों का मसीहा भी कहा जाता है भारत के सविंधान में प्रमुख योगदान देने वाले डॉ भीमराव अम्बेडकर को बाबासाहेब के नाम भी जाना जाता है

डॉ. भीमराव अम्बेडकर की शिक्षा :


1907 में, उन्होंने अपनी मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की और उसके बाद “एलफिन्स्टन कॉलेज  में दाखिला लिया जो मुम्बई विश्वविद्यालय से संबद्ध था.
1912 तक, उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में पानी डिग्री हासिल की.
22 वर्ष की उम्र में ( 1913 में ), अम्बेडकर जी संयुक्त राज्य अमेरिका चले गये और वह कोलम्बिया विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (एमए) की परीक्षा उत्तीर्ण की.
सन 1916 में डॉ॰ आंबेडकर लंदन चले गये जहाँ उन्होने ग्रेज् इन और लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स में कानून का अध्ययन और अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट शोध की तैयारी के लिये अपना नाम लिखवा लिया. अगले वर्ष छात्रवृत्ति की समाप्ति के चलते मजबूरन उन्हें अपना अध्ययन अस्थायी तौर बीच मे ही छोड़ कर भारत वापस लौटना पडा़ ये प्रथम विश्व युद्ध का काल था.
उन्हें औपचारिक रूप से 8 जून 1927 को कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा पीएच.डी. प्रदान की गयी.

डॉ. भीमराव अम्बेडकर  की उपलब्धियाँ :

8 अगस्त, 1930 को एक शोषित वर्ग के सम्मेलन के दौरान अंबेडकर ने अपनी राजनीतिक दृष्टि को दुनिया के सामने रखा, जिसके अनुसार शोषित वर्ग की सुरक्षा उसकी सरकार और कांग्रेस दोनों से स्वतंत्र होने में है। अपने विवादास्पद विचारों, और गांधी और कांग्रेस की कटु आलोचना के बावजूद अंबेडकर की प्रतिष्ठा एक अद्वितीय विद्वान और विधिवेत्ता की थी जिसके कारण जब, 15 अगस्त, 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, कांग्रेस के नेतृत्व वाली नई सरकार अस्तित्व में आई तो उसने अंबेडकर को देश का पहले कानून मंत्री के रूप में सेवा करने के लिए आमंत्रित किया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।

29 अगस्त 1947 को अंबेडकर को स्वतंत्र भारत के नए संविधान की रचना के लिए बनी संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया। 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा ने संविधान को अपना लिया।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर की निधन :


14 अक्टूबर, 1956 को नागपुर में अंबेडकर ने खुद और उनके समर्थकों के लिए एक औपचारिक सार्वजनिक समारोह का आयोजन किया। अंबेडकर ने एक बौद्ध भिक्षु से पारंपरिक तरीके से तीन रत्न ग्रहण और पंचशील को अपनाते हुये बौद्ध धर्म ग्रहण किया। 1948 से अंबेडकर मधुमेह से पीड़ित थे। जून से अक्टूबर 1954 तक वो बहुत बीमार रहे इस दौरान वो नैदानिक अवसाद और कमजोर होती दृष्टि से ग्रस्त थे। 6 दिसंबर 1956 को अंबेडकर जी की मृत्यु हो गई।

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Posted by: vikash yadav


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2 Comments to

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