कुमार विश्वास जीवनी - Biography of Kumar Vishwas in Hindi Jeewani
Biography of Kumar Vishwas
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कुमार विश्वास जीवनी :: Biography of Kumar Vishwas in Hindi
रविवार, 12 अप्रैल 2020
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कुमार विश्वास जीवनी - Biography of Kumar Vishwas in Hindi
- पूरा नाम कुमार विश्वास
- जन्म दिन 10 फरवरी 1970
- जन्म स्थान (Birth Place) पिखुवा, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश
- पेशा (Profession) कवि, लेखक, राजनेता
- राजनीतिक पार्टी (Political Party) आम आदमी पार्टी
- अन्य राजनीतिक पार्टी से संबंध (Other Political Affiliations) –
- राष्ट्रीयता (Nationality) भारतीय
- उम्र (Age) 49 वर्ष
- गृहनगर (Hometown) गाज़ियाबाद
- धर्म (Religion) हिन्दू
- जाति (Caste) गौड़ ब्राह्मिन
- वैवाहिक स्थिति (Marital Status) विवाहित
- राशि (Zodiac Sign) मकर राशि
कुमार विश्वास का प्रारम्भिक जीवन और शिक्षा (Kumar Vishvas’s Early life and Education)
कुमार विश्वास ने अपने स्कूल की पढ़ाई लाला गंगा सहाय स्कूल, पिलखुवा से की थी और इसके बाद राजपुताना रेजिमेंट इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट किया था.
विश्वास के पिताजी उन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे लेकिन उनका झुकाव कविता लेखन एवं साहित्य की तरफ ज्यादा था इसलिए उन्होंने हिंदी में पोस्ट-ग्रेज्युएशन किया.
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कुमार विश्वास का परिवार और निजी जानकारी (Kumar Vishwas’s Family and Personal Information)
अपने अभिभावकों की सबसे छोटी संतान कुमार विश्वास के तीन भाई और एक बहिन भी हैं.
पिताजी चौधरी चरण सिंह से यूनिवर्सिटी में आर.एस. एस. डिग्री कॉलेज, पिखुवा में लेक्चरर थे जबकि उनकी माताजी गृहणी थी. विश्वास के तीन भाई और एक बहिन हैं.
- पिता (Father) डॉक्टर चन्द्र पाल शर्मा
- माता (Mother) रमा शर्मा
- पत्नी (Wife) मंजू शर्मा
- बेटियां (Daughters) अग्रता विश्वास, कुहू विश्वास
कुमार विश्वास का करियर (Kumar Vishwas’s Carrier)
हिंदी साहित्य में एमए और पीएचडी करने के बाद डॉक्टर विश्वास ने 1994 में राजस्थान में अपना करियर एक प्रोफेसर के तौर पर शुरू किया और पिछले 16 वर्षों से वो लाला लाजपत राय यूनिवर्सिटी में हिंदी साहित्य पढ़ा रहे हैं.
हिंदी कवि के तौर पर उन्होंने काफी ऊँचाइयाँ छू ली हैं और स्वयं को श्रंगार-रस के कवि के रूप में स्थापित किया हैं, इसके अतिरिक्त वो टीवी कार्यक्रमों के लिए गानों के लिरिक्स, मैगजीन के लिए आर्टिकल्स, कॉलम एवं बहुत से सामजिक मुद्दों पर भी लिखते रहे हैं.
आम जनता से लेकर बड़ी-बड़ी हस्तियों, पत्रकारों, बिजनेस टायकून सभी ने उनकी कवि और लेखक के रूप में प्रशंसा की हैं. उनकी आवाज़ में कवितायेँ बहुत से टेलिकॉम ओपरेटर ने अपनी कॉलर ट्यून बना रखी हैं. उन्होंने बॉलीवुड के बड़े और सम्मानित बेनर्स और टेलीविज़न प्रोडक्शन हाउस के साथ भी लिरिक्स, स्टोरी और डायलोग राइटिंग का कॉन्ट्रैक्ट साइन कर रखा हैं
विश्वास ने एक कवि के तौर पर लाइव परफोर्मेंस पारम्परिक सेट-अप्स को तोडकर स्टाइलिश, म्यूजिक सपोर्ट, फेंसी लाईटिंग, प्रोजेक्टर स्क्रीन डिस्प्ले और स्पॉट लाइट के साथ होती हैं जिससे माहौल और ज्यादा अच्छा बन जाता हैं.
विश्वास का राजनीति में प्रवेश (Kumar Vishwas’s entry in politics)
अन्ना हजारे द्वारा भ्रष्टाचार के विरुद्ध चलाए जाने वाले आन्दोलन में जंतर-मन्तर पर पहली बार कुमार विश्वास दिखाई दिए थे और 16 अगस्त 2011 को अन्नाहजारे का सपोर्ट करते हुए कुमार विश्वास को गिरफ्तार किया था.
इसके बाद ही आम आदमी पार्टी अस्तित्व में आई, वास्तव में जन-लोकपाल आन्दोलन के दौरान अरविन्द केजरीवाल और अन्ना हजारे के विचारों के दो पक्ष बन गये थे. जिनमें अन्ना हजारे जन लोकपाल आन्दोलन को उदासीन बनाये रखना चाहते थे जबकि केजरीवाल का मानना था कि इस आन्दोलन को दिशा देने के लिए आवश्यक हैं कि राजनीति में प्रवेश किया जाए. इण्डिया अगेंट्स करप्शन नाम की संस्था ने इस आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. आंदोलन का उद्देश्य जन लोकपाल विधेयक को लागू करवाना था, लेकिन इस तरह के संघर्ष से ये लक्ष्य मिल नहीं पा रहा था इसलिए राजनीति में सक्रिय होकर लक्ष्य हासिल करने के लिए सोशल मिडिया पर इस मुद्दे से समबंधित सर्वे करवाया गया था, जिसमें राजनीतिकरण को सपोर्ट करने का रिजल्ट आया था.और आम आदमी पार्टी के बीजारोपण की भूमिका बनाई जाने लगी. उस समय डॉक्टर कुमार विश्वास जाने-माने लोगों में से एक थे जिन्होंने अरविन्द केजरीवाल का साथ दिया था.
26 नवंबर 2012 को अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी का गठन किया गया. डॉक्टर कुमार विश्वास ने इस पार्टी की सदस्यता ली थी और 4 दिसम्बर 2013 को दिल्ली विधानसभा चुनाव में पहली बार इस पार्टी ने भाग लिया तब कुमार विश्वास भी पार्टी के सक्रिय सदस्य थे. उन्होंने पार्टी के सायबर ब्रांच को संभाला एवं 120 से भी ज्यादा यात्राएं की.
भारत में 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में जब सबकी निगाहें अमेठी पर थी तब कुमार विश्वास को भी वहां से आम आदमी पार्टी द्वारा मौका दिया गया था. विशवास ने कांग्रेस पार्टी के भ्रष्टाचार को उजागर किया और कांग्रेस के प्रमुख नेता राहुल गांधी को भारत की समस्याओं की जानकारी नहीं होने के मुद्दे पर घेरा, हालांकि वो राहुल गांधी को हरा नहीं सके लेकिन विश्वास ने भारी मतों के साथ चुनावों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई जो उनकी नयी पार्टी के लिए अचीवमेंट से कम नहीं था.
कुमार विश्वास ने 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाग नही लिया लेकिन अपनी पार्टी के लिए प्रचार कार्य किया. इस दौरान उन्होंने बहुत से ऐसे मुद्दों को उठाया जो विवादित थे और जिनके कारण जनता का ध्यान पार्टी की तरफ गया और आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीट पर जीत दर्ज करवाई.
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कुमार विश्वास के अवार्ड और सफलताएं (Activities and achievements of Kumar Vishwas)
कवि सम्मेलन: कुमार विश्वास ने आईआईटी रूडकी, बिट्स पिलानी, जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, एनआईटी पटना, एमएनआईटी इलाहबाद, आईआईएम लखनऊ, एनआईटी त्रिची, एनआईटी जालन्धर, एलएनसीटी भोपाल में भी स्टेज परफोर्मेंस किया हैं. कुमार विश्वास ने दुबई, आबू धाबी, मस्कट, सिंगापुर और जापान में भी कई अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम किए हैं.
1994 में उन्हें “डॉक्टर कुंवर बैचैन काव्य सम्मान” एवं पुरुस्कार समिति से “काव्य कुमार अवार्ड”, 2004 में उन्हें साहित्य भारती द्वारा यूनानो में डॉक्टर सुमन अलंकरण अवार्ड जबकि 2006 में हिंदी-उर्दू कमिटी द्वारा साहित्य श्री अवार्ड दिया गया था. इसके अतिरिक्त 2010 में उन्हें डॉक्टर उर्मिलेश जन चेतना समिति बदायूं द्वारा “गीत श्री” सम्मान से सम्मानित किया गया.
कुमार विश्वास ने चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी का कुल-गीत लिखा था. उन्होंने समाज सेवा के कार्य भी किए गए हैं. कुमार विश्वास सिविल सोसायटी के एक्टिव मेम्बर हैं.
कुमार विश्वास और विवाद (Kumar Vishwas and Controversy)
कुमार विश्वास कवि/लेखक होने के साथ राजनेता भी हैं इसलिए उनसे भी कुछ विवाद जुड़े हैं और इस क्षेत्र में होने के कारण उन्हें कई बार आलोचनाओं का शिकार होना पड़ता हैं. कुमार विश्वास के विरुद्ध संजय गहलोत ने एक एफआईआर दर्ज करवाई थी क्योंकि उन्होंने वाल्मीकि समाज के खिलाफ विवादित बयान दिया था. जिससे सम्प्रदाय विशेष की भावनाएं आहत हुयी थी.
मीडिया पोर्टल द्वारा एक स्टिंग ऑपरेशन करवाया गया था जिसमें आम आदमी पार्टी के नेताओं पर गैर-क़ानूनी रूप से कैश दान करने का आरोप लगा था, उन नेताओं मे कुमार विश्वास का नाम भी शामिल था. पार्टी ने भी मीडिया पोर्टल के सीईओ के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करवाया था.
नए जमाने के कवि कुमार विशवास हिंदी साहित्य के लिए वरदान के समान हैं, उनके कारण ही युवा वर्ग को हिंदी भाषा के प्रति वापिस आकर्षण हुआ हैं. सोशल मीडिया पर भी अन्य हिंदी लेखकों और कवियों की अपेक्षा उनके कई ज्यादा फोलोअर्स हैं, और अब राजनीति के कारण भी उनकी एक अलग पहचान बन चुकी हैं.
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धन्यवाद..
posted by vikash yadav
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