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व्लादिमीर पुतिन जीवनी - Biography of Vladimir Putin in Hindi Jivani | jeevangatha.com
सोमवार, 4 मई 2020
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व्लादिमीर पुतिन जीवनी - Biography of Vladimir Putin in Hindi Jivani | jeevangatha | jeewangatha |
व्लादिमीर व्लादिमीरोविच पुतिन (जन्म: 7 अक्टूबर 1952) रूसी राजनीतिज्ञ हैं। वे 7 मई 2012 से रूस के राष्ट्रपति हैं तथा 2018 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में 76% वोट हासिल करने के पश्चात अगले कार्यकाल के लिए भी निर्वाचित हुए हैं। इससे पहले सन् 2000 से 2008 तक रूस के राष्ट्रपति तथा 1999 से 2000 एवं 2008 से 2012 तक रूस के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान वे रूस की संयुक्त रूस पार्टी के अध्यक्ष भी थे।
पुतिन ने 16 साल तक सोवियत संघ की गुप्तचर संस्था केजीबी में अधिकारी के रूप में सेवा की, जहाँ वे लेफ्टिनेंट कर्नल के पद तक पदोन्नत हुए। 1991 में सेवानिवृत्त होने के पश्चात उन्होंने अपने पैतृक शहर सेंट पीटर्सबर्ग से राजनीति में कदम रखा। 1996 में वह मास्को में राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन के प्रशासन में शामिल हो गए, एवं येल्तसिन के अप्रत्याशित रूप से इस्तीफा दे देने के कारण 31 दिसम्बर 1999 को रूस के कार्यवाहक राष्ट्रपति बने। तत्पश्चात, पुतिन ने वर्ष 2000 और फिर 2004 का राष्ट्रपति चुनाव जीता। रूसी संविधान के द्वारा तय किये गए कार्यकाल सीमा की वजह से वह 2008 में लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति पद के चुनाव में खड़े होने के लिए अयोग्य थे। 2008 में दिमित्री मेदवेदेव ने राष्ट्रपति चुनाव जीता और प्रधानमंत्री के रूप में पुतिन को नियुक्त किया। सितंबर 2011 में, कानून में बदलाव के परिणामस्वरूप राष्ट्रपति पद के कार्यकाल की अवधि चार साल से बढ़ाकर छह साल हो गयी, एवं पुतिन ने 2012 में राष्ट्रपति पद के लिए एक तीसरे कार्यकाल की तलाश में चुनाव लड़ने करने की घोषणा की, जिसके चलते कई रूसी शहरों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। मार्च 2012 में उन्होंने यह चुनाव जीता और वर्तमान में 6 वर्ष के कार्यकाल की पूर्ति कर रहे हैं। 2018 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में 76% वोट हासिल करने के पश्चात वे अगले कार्यकाल के लिए भी निर्वाचित हुए हैं।
व्लादिमीर पुतिन का जन्म 7 अक्टूबर, 1952 को सोवियत संघ के रूसी गणराज्य के लेनिनग्राद (वर्तमान सेंट पीटर्सबर्ग, रूस) में हुआ था। उनके पिता का नाम व्लादिमीर स्पिरिदोनोविच पुतिन और माता का नाम मारिया इवानोव्ना शेलोमोवा था। उनकी माँ फ़ैक्टरी मजदूर एवं पिता सोवियत नेवी में कार्य करते थे। उनके पिता 1930 के दशक में पनडुब्बी बेड़े में सेवा करते थे और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शत्रु को घात लगाकर हमला करने वाले दस्ते में भर्ती हो गए। युद्ध के बाद उन्होंने एक कारख़ाने में फोरमैन के रूप में काम किया। व्लादीमिर अपने पिता के तीसरे पुत्र थे। उनके दो बड़े भाइयों की बाल अवस्था में ही मृत्यु हो गई थी। सन 1975 में पुतिन ने लेनिनग्राद राजकीय विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
जिन्होंने येल्तिसन के बाद के वर्षों से रूसी अर्थव्यवस्था में मचे कोहराम को शांत किया। पुतिन के सत्ता में आने के बाद के रूसी अर्थव्यवस्था में जबरदस्त सुधार देखा गया, जिसमें अहम योगदान तेल और गैस की बढ़ती कीमतों का रहा। वर्ष 2008 में राष्ट्रपति पद छोड़ते वक्त उन्होंने कहा था कि मैं क्रै मलिन छोड़ रहा हूं, रूस नहीं। और उन्होंने अपना वादा निभाया, भले ही उनके प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद उस समय किसी ने न की हो। अब सवाल यह उठता है कि क्या वे आधुनिक युग का राजनेता हैं, जिसमें 17वीं शताब्दी के जार की सोच समाई हुई है? क्या वे पूंजीवादी के भेष में स्टालिनवादी हैं? डाई वेल्ट के प्रमुख संवाददाता माइकल स्टूअर्मर ने अपनी पुस्तक की भूमिका में लिखा है, दो शताब्दियों में एेसा पहली बार नहीं है कि रूस अपनी अर्थव्यवस्था को लेकर दुनिया को हैरत में डाल चुका है।
मेदवेदेव को सत्ता हस्तांतरित करके पुतिन ने अपने लिए विकल्प खोल रखा था। इस बीच 2008 में राष्ट्रपति का कार्यकाल चार वर्ष से बढ़ाकर छह वर्ष कर दिया गया। पुतिन यकीनन काफी लोकप्रिय हैं। पूर्व केजीबी अधिकारी होने के नाते उनकी छवि भी गंभीर शख्स की है।
इसमें संदेह नहीं कि वह जो फैसला लेते हैं, वही होता है। पुतिन एक एेसे व्यक्ति हैं, जिन्हें रूसी जनता का जबरदस्त समर्थन हासिल है। इसके अलावा, रूस से भारत के संबंध पहले भी बेहतर थे और आज भी है। रूस हाल के वर्षाेर्ं में एक बार फिर से भारत जैसे अपने समय की कसौटी पर परखे हुए मित्रों की तरफ आकृष्ट हुआ है। रूस की अर्थव्यवस्था में भी काफी सुधार हुआ है।
शुरुआती कॅरियर
अपनी स्नातक की डिगरी प्राप्त करके उन्होंने केजीबी में काम करना शुरू किया। यहाँ वह सन 1991 तक काम करते रहे। केजीबी में थोड़े ही समय में उन्हें लेनिनग्राद में विदेशियों और वाणिज्यिक दूतावास के अधिकारियों की निगरानी का कार्य मिला।
भाषा
पुतिन रूसी के अलावा जर्मन भी जानते हैं। माना जाता है कि राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने अंग्रेज़ी सीखी थी। औपचारिक वार्ता के लिए वह अब भी दुभाषियों का सहारा लेते हैं। सर्वप्रथम पुतिन ने 2003 में बकिंघम पैलेस में राजकीय रात्रिभोज के दौरान महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की माँ की मृत्यु पर अपनी संवेदना प्रकट करते हुए पहली बार सार्वजनिक रूप से अंग्रेज़ी में बात की थी।
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