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कैप्टन विक्रम बत्रा जन्म:
नाम ( Name) | कैप्टेन विक्रम बत्रा |
निक नेम (Nick Name ) | शेर शाह, कारगिल का शेर,लव |
प्रसिद्धी का कारण (Famous For ) | 1999 के कारगिल युद्ध में उनकीबलिदान के लिए “परम वीर चक्र” (मरणोपरांत) से सम्मानित |
जन्म (Birth) | 9 सितंबर, 1974 |
उम्र (Age ) | 24 साल |
जन्म स्थान (Birth Place) | पालमपुर, हिमाचल प्रदेश, भारत |
मृत्यु की तारीख (Date of Death) | 7 जुलाई, 1999 |
मृत्यु की जगह (Place of Death) | सरहद क्षेत्र, पॉइंट 4875 कॉम्प्लेक्स, कारगिल, जम्मू एवं कश्मीर, भारत |
मृत्यु की वजह (Reason of Death ) | शहादत (1999 के कारगिल युद्ध के दौरान) |
गृहनगर (Hometown) | पालमपुर, हिमाचल प्रदेश, भारत |
शिक्षा Education Qualification | बीएससी चिकित्सा विज्ञान एमए अंग्रेजी (पूरा नहीं हुआ) |
स्कूल (School ) | डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल, पालमपुर, हिमाचल प्रदेश (8वीं कक्षा तक) सेंट्रल स्कूल, पालमपुर, हिमाचल प्रदेश (सीनियर सेकेंडरी) |
कॉलेज (College) | डीएवी कॉलेज, चंडीगढ़ पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ |
राष्ट्रीयता (Nationality) | भारतीय |
धर्म (Religion) | हिन्दू |
राशि (Zodiac Sig) | कन्या |
जाति (Caste ) | राजपूत |
कद (Height) | 5 फीट 8 इंच |
आंखों का रंग (Eye Colour) | काला |
बालों का रंग (Hair Colour) | काला |
पेशा (Profession) | आर्मी ऑफिसर |
सर्विस / ब्रांच ( Army Service/Branch) | भारतीय आर्मी |
सर्विस के साल (Service-Years) | सन 1996 से 1999 तक |
यूनिट (Unit) | 13 JAK RIF |
युद्ध/लड़ाई (Wars/Battles) | प्वाइंट 4875 की लड़ाई प्वाइंट 5140 की लड़ाई ऑपरेशन विजय कारगिल युद्ध |
गर्लफ्रेंड(Girlfriend ) | डिंपल चीमा (1995- अपनी मृत्यु तक) |
वैवाहिक स्थिति (Marital Status) | अविवाहित |
कैप्टन विक्रम बत्रा का जन्म 9 सितंबर, 1974 को पालमपुर, हिमाचल प्रदेश में गिरधारी लाल बत्रा (पिता) और कमल बत्रा (माँ) के यहाँ हुआ था.
कैप्टन विक्रम बत्रा शिक्षा (Education)
विक्रम ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई डीएवी पब्लिक स्कूल से पूरी की उसके बाद केंद्रीय विद्यालय में आगे की पढ़ाई के लिए प्रवेश लिया। अखिल भारतीय केवीएस मैं विक्रम ने अपने भाई के साथ नागरिकों के टेबल टेनिस स्कूल का प्रतिनिधित्व करते हुए उसमें जीत हासिल की। अपने कॉलेज के दिनों में वह बहुत एक्टिव है जिसके चलते उन्होंने एनसीसी एयर विंग में शामिल होकर पिंजौर एयरफील्ड और फ्लाइंग क्लब में 40 दिनों का प्रशिक्षण हासिल किया। जब उन्हें प्रशिक्षण के लिए चुना गया तब उन्होंने सी सर्टिफिकेट के लिए क्वालीफाई कर दिखाया और एनसीसी में कैप्टन के रूप में उन्हें रंग दिया गया।
कैप्टन विक्रम बत्रा सेना में शामिल (Vikram Batra Army)
गणतंत्र दिवस की परेड में जब उन्होंने 1994 में एनसीसी कैडेट के रूप में भाग लिया तब देश के प्रति देशभक्ति ने उनके दिल में जन्म लिया और भारतीय सेना में शामिल होने की इच्छा के बारे में उन्होंने अपने माता-पिता को बताया। जिनके चलते 1995 में अपने कॉलेज के दिनों के दौरान उन्हें हांगकांग के मुख्यालय वाली शिपिंग कंपनी ने मर्चेंट नेवी के रूप में चुन लिया परंतु उनका इरादा कुछ और था।
विक्रम बत्रा सैन्य प्रशिक्षण ( training)
अपने कॉलेज की पढ़ाई के दौरान एमए करने के लिए उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय जो चंडीगढ़ में मौजूद है उसमें एडमिशन लिया और कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज की परीक्षा की तैयारी में जुट गए। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने पार्ट टाइम जॉब के रूप में ट्रैवल एजेंसी ज्वाइन की जहां पर ब्रांच मैनेजर के रूप में उन्होंने काम किया। CDS की परीक्षा उन्होंने 1996 में दी जिसके बाद इलाहाबाद के सेवा चयन बोर्ड में उनका चयन हो गया। वहां पर कोई 35 उम्मीदवारों का चुनाव हुआ था जिनमें से 1 नाम विक्रम बत्रा भी था। भारत के प्रति देशभक्ति इतनी अधिक बढ़ गई थी कि उन्होंने कॉलेज छोड़कर भारतीय सैन्य अकादमी ज्वाइन करना सही समझा।
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कैप्टन विक्रम बत्रा करियर (Career)
मानेकशॉ बटालियन IMA मैं सन 1996 में कैप्टन विक्रम बत्रा शामिल हो गए। उसके बाद सन 1997 के 6 दिसंबर को उन्होंने अपने 19 महीने की ट्रेनिंग पूरी कर ली जिसके बाद IMA से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उनका प्रशिक्षण पूरा हो गया उसके बाद जम्मू और कश्मीर राइफल्स ने लेफ्टिनेंट के रूप में 13वीं बटालियन के साथ उन्हें नियुक्त किया गया। उन्हें फिर से 1 महीने के लिए प्रशिक्षण के दौरान जबलपुर, मध्यप्रदेश भेजा गया।
कैप्टन विक्रम बत्रा पोस्टिंग (Posting)
उनका प्रशिक्षण पूरा होने के बाद जिस क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधि बहुत ज्यादा थी बारामूला जिले, जम्मू और कश्मीर के सोपोर में उन्हें भेज दिया गया। उसके बाद उनका प्रशिक्षण यहीं नहीं रुका उन्हें यंग ऑफिसर कोर्स पूरा करने के लिए 5 महीने की अवधि के लिए इन्फेंट्री स्कूल Mhow भेज दिया गया। जब उनका कोर्स पूरा हो गया तब अल्फा ग्रेडिंग से सम्मानित कर वापस से जम्मू बटालियन ने देश की सेवा के लिए भेज दिया गया।
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कैप्टन विक्रम बत्रा मंगेतर, गर्लफ्रेंड (Fiance, Girlfriend, Dimple Cheema)
कारगिल युद्ध से पहले होली की छुट्टियों के दौरान वे अपने घर गए थे उस समय अपनी मंगेतर डिंपल चीमा से अपने फेवरेट कैफे में मिले। उस समय डिंपल को विक्रम की बहुत ज्यादा चिंता हो रही थी तो उन्होंने विक्रम को कारगिल युद्ध के दौरान अपना ध्यान रखने के लिए कहा। उस वीर के मुंह से बस यही निकला कि या तो मैं अपनी जीत का तिरंगा लहराता हुआ आऊंगा या फिर उस तिरंगे में अपनी आंख मूंदे लिपट कर आऊंगा।
कैप्टन विक्रम बत्रा कारगिल युद्ध में योगदान (Kargil Story)
उनकी वीरता कुछ ऐसी थी जिन्होंने 1999 के कारगिल युद्ध में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। अपनी छुट्टियां पूरी कर जब वे वापस सोपोर अपनी बटालियन ज्वाइन करने आए तब उनकी बटालियन को शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश की तरफ जाने के लिए कहा गया। विक्रम बत्रा ने अपनी बटालियन 8 माउंटेन डिवीजन के 192 माउंटेन ब्रिगेड के तहत आतंकवादियों का सफाया करने का कार्यकाल जम्मू में पूरा कर लिया था। इसलिए उन्हें और उनकी बटालियन को वहां से निकलने का आदेश दे दिया गया।
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पाक सेना ने भारतीय सेना के खिलाफ सेक्टर में मजबूत किलेबंदी कर रखी थी जिसमें स्वचालित हथियार प्रबलित है। इस युद्ध के दौरान 20 जून 1999 को कमांडर डेल्टा कंपनी के कैप्टन विक्रम बत्रा को प्वाइंट 5140 पर ऑपरेशन VIJAY के दौरान हमला करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। पूर्व दिशा से अपनी पूरी कंपनी के साथ कैप्टन विक्रम बत्रा ने शत्रु को बिना भनक लगे ही उन पर हमला कर दिया और उनके क्षेत्र के अंदर घुस गए। अपने दस्ते को पुनर्गठित करके वह दुश्मन के ठिकानों पर हमला करने के लिए पहुंच गए।
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उस समय कैप्टन विक्रम अपने दस्ते का नेतृत्व कर रहे थे और सबसे आगे बड़ी निडरता के साथ शत्रु के क्षेत्र में पहुंचकर उन पर हमला करते चले गए। हमले के दौरान उन्होंने 4 छात्रों को मार गिराया। जिस क्षेत्र में शत्रु थे वह क्षेत्र बेहद दुर्गम होने के बावजूद भी उन्होंने शत्रुओं का नाश कर उनके रेडियो स्टेशन पर जाकर अपनी विजय का उद्घोष कर दिया।
कैप्टन विक्रम बत्रा की बहादुरी के बाद 7 जुलाई 1999 को पॉइंट 4875 की छोटी को कब्जे में लेने का अभियान शुरू किया गया और यह अभियान भी विक्रम और उनकी टुकड़ी को पूरा करने के लिए सौंपा गया। इस अभियान को बुरा करने वाला रास्ता भी बड़ा दुर्गम था क्योंकि वहां पर दोनों तरफ खड़ी ढलान थी और एकमात्र रास्ता था जहां पर शत्रुओं ने पूरी तरह से नाकाबंदी कर रखी थी। इसके बावजूद भी संकरे रास्ते से होते हुए कैप्टन अपने पूरे जोश और दस्ते को लेकर शत्रु के ठिकाने पर पहुंचकर आक्रमण का निर्णय लिया। उस आक्रमण के दौरान पॉइंट ब्लैक रेंज में पांच शत्रुओं को विक्रम बत्रा और उनकी टीम ने मार गिराया।
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कैप्टन विक्रम बत्रा बलिदान, निधन, पुण्यतिथि (Death)
कारगिल युद्ध के दौरान विक्रम बत्रा को काफी गहरे जख्म आए थे उसके बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और रेंगते हुए शत्रु के ऊपर बड़े ग्रेनेड फेंक दिए। विक्रम बत्रा द्वारा फेंके गए ग्रेनेड की वजह से शत्रुओं का पूरा इलाका नष्ट हो गया था और सभी शत्रु मारे गए थे। अपने गहरे जख्मों के बाद भी विक्रम ने हार नहीं मानी और अपनी सेना की टुकड़ी को आगे बढ़कर शत्रुओं पर प्रहार करने की प्रेरणा दी लेकिन अपने गहरे जख्मों की वजह से और भारी गोलीबारी की वजह से उन्होंने युद्ध क्षेत्र में उसी स्थान पर अपने प्राण त्याग दिए। इस तरह वे वीरगति को प्राप्त हुए परंतु अपनी आखिरी सांस तक देश के लिए लड़ते रहे।
- विक्रम बत्रा के विचार
- विक्रम बत्रा कौन थे
- विक्रम बत्रा जयंती
- विक्रम बत्रा जीवनी
- कैप्टन विक्रम बत्रा जीवन परिचय
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- विक्रम बत्रा तस्वीरें
- विक्रम बत्रा फिल्म
- विक्रम बत्रा फोटो
कैप्टन विक्रम बत्रा बनी फिल्म (Movie)
साल 2013 में आपने एलओसी कारगिल फिल्म देखी होगी जो पूरी तरह कारगिल संघर्ष पर आधारित थी। इस फिल्म को बॉलीवुड की तरफ से रिलीज किया गया जिसमें अभिषेक बच्चन द्वारा विक्रम बत्रा के महत्वपूर्ण किरदार की अहम भूमिका निभाई गई थी।
कैप्टन विक्रम बत्रा सम्मान (Legacy)
- पॉइंट 4785 पर विक्रम बत्रा और उनकी टीम ने कब्जा कर लिया था जिसके बाद ऐतिहासिक रूप से इस पहाड़ को बत्रा टॉप का नाम दिया गया।
- उनकी वीरता के चर्चे जबलपुर में भी थे इस दौरान जबलपुर की एक छावनी को विक्रम बत्रा एंक्लेव के नाम से नवाजा गया।
- अपने कारनामों के चलते इलाहाबाद में भी उन्होंने खूब नाम कमाया जिसके बाद एक हॉल का नाम विक्रम बत्रा ब्लॉक रख दिया गया।
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- आईएमए में भी अपने परीक्षण के दौरान उन्होंने अपनी वीरगाथा वहां भी चलाई जिसके चलते एक मेस का नाम विक्रम बत्रा मेस रख दिया गया।
- चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज में विक्रम बत्रा और उनकी टीम के साहस और बलिदान की वजह से उनके नाम की एक इमारत बनाई गई है।
- 2019 में विक्रम बत्रा को सम्मानित करते हुए दिल्ली में स्थित मकबरा चौक और उसके फ्लाईओवर का नाम बदलकर शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा रख दिया गया।
कैप्टेन विक्रम बत्रा पुरस्कार एवं उपलब्धियां (Award and Achievement)
विक्रम बत्रा ने जिस वीरता से भारत देश के लिए युद्ध में अपना कौशल दिखाकर वीरगति को प्राप्त हुए उसके लिए उन्हें मरणोपरांत भारत सरकार द्वारा परमवीर चक्र से सम्मानित किया।
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