Sri Sri Ravi Shankar Biography In Hindi | श्री श्री रवि शंकर की जीवनी | Birth And Education | Family | Art of Living Foundation

 श्री श्री रवि शंकर की जीवनी | Sri Sri Ravi Shankar Biography In Hindi

श्री श्री रवि शंकर जी विश्व भर में अपने कार्यों के लिए जाने जाते हैं. रवि शंकर जी का लक्ष्य दुनिया में शांति कायम करना है और लोगों को तनाव राहित जिंदगी प्रदान करना है. अपने इन्हीं लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए श्री श्री रवि शंकर जी के द्वारा ‘आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन’ की नीव रखी गई थी और आज ये फाउंडेशन दुनिया भर में प्रसिद्ध है. दुनिया भर में रवि शंकर के लाखों की संख्या में फॉलोअर भी मौजूद हैं.

श्री श्री रवि शंकर की जीवनी 

असली नामरवि शंकर
जन्म स्थानपप्पानसमतमिलनाडु
जन्म तिथि13 मई,1956
माता का नामविसालक्षी रत्नम (Visalakshi Ratnam)
पिता का नामआर.एस वेंकट रत्नम
कुल भाई-बहनएक बहन
पत्नी का नाम
पेशाआध्यात्मिक गुरु, शांति राजदूत
लंबाई5’5
वजन70 किलो
आंखों का रंगकाला
बालों का रंगकाला
कुल संपत्ति1000 करोड़ के करीब

श्री श्री रवि शंकर का जन्म और शिक्षा (Sri Sri Ravi Shankar Birth And Education)-

रवि शंकर जी का जन्म सन् 1956 में हुआ था और रवि शंकर जी के माता-पिता तमिलनाडु के निवासी थे. रवि शंकर जी ने अपनी स्कूली शिक्षा, एमएसई बैंगलोर स्कूल से हासिल की थी. वहीं  बैंगलोर  के सेंट. जोसेफ कॉलेज से रवि शंकर जी ने विज्ञान में स्नातक प्राप्त किया हुआ है. विज्ञान में डिग्री हासिल करने के साथ-साथ रवि शंकर जी ने वैदिक साहित्य में भी स्नातक की उपाधि प्राप्त कर रखी हैं. रवि शंकर जी ने ये दोनों उपाधियां महज 17 वर्ष की आयु में हासिल कर ली थी.

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श्री श्री रवि शंकर का परिवार (Sri Sri Ravi Shankar Family)

रवि शंकर जी के परिवार में रवि शंकर जी के माता पिता के अलावा इनकी एक छोटी बहन हैं. रवि शंकर जी के पिता का नाम आर. वेंकट रत्नम है और रवि शंकर जी की माता का नाम विसालक्षी रत्नम है.  रवि शंकर जी की बहन का नाम भानुमती नरसिम्हन है और रवि शंकर जी  आर्ट ऑफ लिविंग महिला और बाल कल्याण कार्यक्रम के निदेशक के तौर पर कार्य करती हैं.

श्री श्री रवि शंकर का आध्यात्मिक गुरू बनने का सफर

अपनी उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद रवि शंकर जी ने वैदिक विज्ञान पर उपदेश देने का कार्य किया और रवि शंकर जी ने ये कार्य महर्षि महेश योगी के साथ मिलकर किया था.

1980 के दशक में रवि शंकर जी ने दुनिया भर में कई जगहों पर यात्रा कर आध्यात्मिकता का प्रचार किया. साल 1981 में रवि शंकर जी ने आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन की स्थापना की थी. इस फाउंडेशन के जरिए लोगों को तनाव और सामाजिक समस्याओं से लड़ने का ज्ञान और योग करना सिखाया जाता है.

रवि शंकर जी ने सन् 1983 में स्विटजरलैंड में पहली बार आर्ट ऑफ लिविंग कोर्स आयोजित किया. साल 1986 में रवि शंकर जी ने एक आर्ट ऑफ लिविंग कार्यशाला के लिए कैलिफोर्निया की यात्रा की और जल्द ही ये यहां के लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय हो गये.

आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन का विस्तार (Art of Living Foundation)

इस वक्त दुनिया के लगभग हर देश में आर्ट ऑफ लिविंग की स्थापना की गई है और लाखों की संख्या में लोग आर्ट ऑफ लिविंग का हिस्सा हैं. कुल 152 देशों में स्थापित आर्ट ऑफ लिविंग के करीब दस लाख से अधिक अनुयायी(Follower) बताए जाते हैं. इसके अलावा ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ पाठ्यक्रम नासा के अंतरिक्ष यात्रियों को भी पढ़ाई जाता है.

रवि शंकर जी को मिले पुरस्कार और उपलब्धियां (Sri Sri Ravi Awards & Achievements)

रवि शंकर जी आज भारत में नहीं बल्कि दुनिया भर में अपने कार्यों के लिए प्रसिद्ध हैं और इनको भारत सरकार के अलावा दुनिया के अन्य देशों द्वारा भी कई सारे सम्मान दिए गए हैं और नीचे हम ने इनको मिल कुछ पुरस्कारों और उपलब्धियों की जानकारी दी है.

साल 2016 में भारत सरकार ने रवि शंकर जी को ‘पद्म विभूषण’ अवार्ड दिया था. इसी साल रवि शंकर जी डॉ नागेंद्र सिंह अंतर्राष्ट्रीय शांति पुरस्कार भी दिया जा चुका है.

1986 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा रवि शंकर जी को ‘योग शिरोमणि’ का शीर्षक दिया गया था. इसके अलावा रवि शंकर जी  साल 1997 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा ‘गुरु महात्म्य खिताब’ से सम्मानित किया गया है. वहीं साल 2005 में इन्हें ‘शिरोमणि पुरस्कार’ भी दिया जा चुका है .

साल 2005  में अमेरिका में रवि शंकर जी को उनके द्वारा दिए गए योगदान के लिए ‘ग्लोबल ह्यूमनिटीअरी अवार्ड’ से भी सम्मानित किया था. वहीं साल 2010 में इन्हें आत्मज्योति अवार्ड भी दिया गया था

रवि शंकर जी का नाम फोर्ब्स पत्रिका द्वारा बनाई गई एक सूची में शामिल किया गया था. साल 2009 में इस पत्रिका ने भारत के सबसे पांच ताकतवर व्यक्तियों की सूची जारी की थी और इस सूची में इनका नाम भी था.

रवि शंकर जी के कार्यों को देखते हुए इन्हें साल 2012 में पैराग्वे सरकार द्वारा भी सम्मानित किया गया और रवि शंकर जी  इस देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार दिया गया. इसी तरह रवि शंकर जी को पेरू की सरकार ने भी अपने देश का सर्वोच्च पुरस्कार दिया था.

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रवि शंकर जी के द्वारा किए गए नेक कार्य (Social Work  Details)

रवि शंकर जी दुनिया भर में बतौर शांति राजदूत के रूप में भी जाने जाते हैं और ये आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के माध्यम से अहिंसा और मानवता का ज्ञान देते हैं. इनके द्वारा किए गए कुछ नेक कार्यों की जानकारी नीचे दी गई है.

कैदियों के लिए किया कार्य-

साल 1992 में रवि शंकर जी ने जेल के कैदियों के बेहतर जीवन के लिए भी पहल की थी और इन्होंने कैदियों की रिहाई के बाद उन्हें सम्मानित काम मिलने को लेकर एक प्रोग्राम चलाया था.

वैश्विक शांति को बढ़ावा देने का प्रयास-

विश्व में शांति बनाए रखने के मकसद से रवि शंकर जी ने पाकिस्तान और इराक देश का दौरा किया था. अपने इस दौरे के दौरान रवि शंकर जी ने वैश्विक शांति को बढ़ावा देने के लिए इन देशों के राजनीतिक और धार्मिक नेताओं से मुलाकात की थी.

सुनामी के वक्त की थी मदद-

इनकी आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन ने साल 2004 में हमारे देश में आई  सुनामी, से ग्रस्त हुए लोगों की सहायता की थी. इनकी फाउंडेशन ने सुनामी पीड़ितों को भोजन और आश्रय प्रदान किया था. इसके अलावा इनकी फाउंडेशन ने ‘कैटरीना’ नामक तूफान के वक्त भी लोगों की सहित की थी.

दिल्ली गैंग रेप को लेकर उठाई आवाज-

साल 2012 में दिल्ली गैंगरेप के मामले को लेकर शंकर जी ने एक पहल शुरू की थी. उनके द्वारा 5 दिसंबर, 2012 को शुरू की गई इस पहल का नाम ‘बेहतर भारत के लिए स्वयंसेवी’ (‘Volunteer for Better India’) रखा गया था.

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साल 1997 में की आईएएचवी की स्थापना-

साल 1997 में इन्होंने इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर ह्यूमन वैल्यू (आईएएचवी) की स्थापना की, जो एक मानवीय संगठन है. इस संगठन का लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करना और मानवीय मूल्यों की रक्षा करना है.

रवि शंकर जी के विचार (Sri Sri Ravi Shankar Philosophies)

रवि शंकर जी का मानना है कि हर व्यक्ति को रोज ध्यान करना चाहिए. ध्यान करने से आप एकदम तरोताजा होने के साथ-साथ सक्रिय भी हो जाते हैं.  रवि शंकर जी की फिलोसोफी के अनुसार भगवान का निवास हर किसी के दिल में है.

रवि शंकर जी का कहना है कि हर धर्म में तीन विशेषतायेँ होती हैं जो कि रीति-रिवाज, प्रतीक और मूल्य है. इन विशेषताओं के दम पर एक शांतिपूर्ण और संयुक्त विश्व का निर्माण किया जा सकता है. इसके अलावा इनके विचार में  एक ‘हिंसा मुक्त समाज’ का गठन धर्म के माध्यम से नहीं बल्कि आध्यात्मिकता के माध्यम से किया जा सकता है.

रवि शंकर जी से जुड़े विवाद (Sri Sri Ravi Shankar Controversy in hindi)

सरकारी स्कूलों पर दिया था विवादित बयान

साल 2012 में गुरु श्री श्री रविशंकर के खिलाफ एक शिकायत दर्ज की गई थी और ये शिकायत उनके द्वारा दिए गए एक विवादित बयान को लेकर की गई थी. दरअसल जयपुर में रवि शंकर जी ने एक बयान देते हुए कहा था कि सरकारी स्कूल में नक्सलवाद पनप रहा है और यहां के बच्चे नक्सलवादी बनते हैं. अपने इस बयान में इन्होंने आगे कहा कि हमारे देश के सभी सरकारी स्कूलों को निजी हाथों में दे देना चाहिए. इनके इस बयान पर कई राजनेताओं ने नाराजगी व्यक्त की थी और  कपिल सिब्बल ने कहा था कि क्या हमारे देश के जो राष्ट्रपति सरकारी स्कूलों से पढ़े हुए हैं, वो क्या नक्सली हैं.

यमुना तट को नुकसान पहुंचाने का विवाद

साल 2016 में दिल्ली में युमना नदी के पास विश्व संस्कृति महोत्सव मनाया गया था. ये महोत्सव आर्ट ऑफ लिविंग के स्‍थापना दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया था. वहीं इस महोत्सव के चलते यमुना तट को नुकसान पहुंचा था. इस नुकसान के लिए आर्ट ऑफ लिविंग को जिम्मेदार ठहराया गया था.

रवि शंकर जी का बाबरी मस्जिद पर बयान-

राम जन्म भूमि पर रवि शंकर जी ने एक बयान देते हुए कहा था कि राम मंदिर वहां ही बनाया जाए, जहां ये पहले था और मस्जिद को थोड़ी दूरी पर बनाना चाहिए. इनके इसी बयान से एक समुदाय के लोग नाराज हो गए थे. इतना ही नहीं बाबरी मुद्दे पर रवि शंकर ने कहा था कि अगर इस मसले को हल नहीं किया गया, तो हमारे देश में सीरिया जैसे हालात हो जाएंगे. गौरतलब है कि कई सालों से सीरिया में युद्ध चल रहा है.

रवि शंकर से जुड़ी अन्य बातें-

रवि शंकर ने लिखी है किताब

रवि शंकर जी ने ‘सेलिब्रेटिंग साइलेंस’, नामक एक पुस्तक भी लिखी है. ये पुस्तक जब लॉन्च हुई थी तो कुछ दिनों के अंदर ही इस किताब को करीब 1.4 लाख लोगों ने खरीदा था. इस किताब को अभी तक की सबसे लोकप्रियता पाने वाली किताबों में गिना जाता है.

आर्ट ऑफ लिविंग का ‘सुदर्शन क्रिया’ पाठ्यक्रम

इनके द्वारा बनाए गए सभी आर्ट ऑफ लिविंग कोर्सों में से, ‘सुदर्शन क्रिया’  काफी प्रसिद्ध पाठ्यक्रम है. इस पाठ्यक्रम की कई चिकित्सा संस्थानों द्वारा समीक्षा की गई. और समीक्षा के दौरान इस क्रिया को मस्तिष्क और रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिए कारगर पाया गया है.

श्री श्री विश्वविद्यालय की स्थापना

श्री श्री रवि शंकर जी ने साल 2009 के दौरान श्री श्री विश्वविद्यालय की नीव ओडिशा में रखी है. इस विश्वविद्यालय का मकसद बच्चों को अच्छी शिक्षा देना है. इसके अलावा रवि शंकर जी हमारे देश के बच्चों की शिक्षा के लिए कई तरह के कार्य कर रहे हैं. ताकि हमारे देश को अच्छा भविष्य मिल सके और हमारा देश अच्छी तरक्की कर सके. वहीं हम उम्मीद करते हैं कि ये अपने इस लक्ष्य में जल्द कामयाब हो सकें.

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