Mahatma gandhi
महात्मा गांधी के नाम से मशहूर मोहनदास करमचंद गांधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक नेता थे। सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धान्तो पर चलकर उन्होंने भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके इन सिद्धांतों ने पूरी दुनिया में लोगों को नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें भारत का राष्ट्रपिता भी कहा जाता है। सुभाष चन्द्र बोस ने वर्ष 1944 में रंगून रेडियो से गान्धी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहकर सम्बोधित किया था।
सन 1915 में भारत वापस आने से पहले गान्धी ने एक प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष किया। भारत आकर उन्होंने समूचे देश का भ्रमण किया और किसानों, मजदूरों और श्रमिकों को भारी भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध संघर्ष करने के लिये एकजुट किया। सन 1921 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभाली और अपने कार्यों से देश के राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित किया। उन्होंने सन 1930 में नमक सत्याग्रह और इसके बाद 1942 में ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। भारत के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान कई मौकों पर गाँधी जी कई वर्षों तक उन्हें जेल में भी रहे।
Mahatma gandhi ji ki biography in hindi
सोमवार, 17 सितंबर 2018
1
Mahatma gandhi ji ki biography in hindi
नाम: मोहनदास करमचंद गाँधी
पिता का नाम: करमचंद गाँधी
माता का नाम: पुतलीबाई
जन्म दिनाक : 2 अक्टूबर 1969
जन्म स्थान : गुजरात के पोरबंदर में
शिक्षा : बैरिस्टर
पत्न्नी : कस्तूरबा
उल्लेखनीय कार्य: सत्य और अहिंषा की व्याख्या , छुआ -छुट जैसी बुराइयों को दूर किया
मृत: 3० जनवरी 1948
महात्मा गांधी के नाम से मशहूर मोहनदास करमचंद गांधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक नेता थे। सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धान्तो पर चलकर उन्होंने भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके इन सिद्धांतों ने पूरी दुनिया में लोगों को नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें भारत का राष्ट्रपिता भी कहा जाता है। सुभाष चन्द्र बोस ने वर्ष 1944 में रंगून रेडियो से गान्धी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहकर सम्बोधित किया था।
सन 1915 में भारत वापस आने से पहले गान्धी ने एक प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष किया। भारत आकर उन्होंने समूचे देश का भ्रमण किया और किसानों, मजदूरों और श्रमिकों को भारी भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध संघर्ष करने के लिये एकजुट किया। सन 1921 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभाली और अपने कार्यों से देश के राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित किया। उन्होंने सन 1930 में नमक सत्याग्रह और इसके बाद 1942 में ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। भारत के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान कई मौकों पर गाँधी जी कई वर्षों तक उन्हें जेल में भी रहे।
गांधी जी द्वारा बताई गई कुछ प्रसिद्ध सूक्तियां
"अहिंसा सबसे बड़ा कर्तव्य है। यदि हम इसका पूरा पालन नहीं कर सकते हैं तो हमें इसकी भावना को अवश्य समझना चाहिए और जहां तक संभव हो हिंसा से दूर रहकर मानवता का पालन करना चाहिए।"
"उस प्रकार जिएं कि आपको कल मर जाना है। सीखें उस प्रकार जैसे आपको सदा जीवित रहना हैं।"
"आजादी का कोई अर्थ नहीं है यदि इसमें गलतियां करने की आजादी शामिल न हों।"
"बेहतर है कि हिंसा की जाए, यदि यह हिंसा हमारे दिल में हैं, बजाए इसके कि नपुंसकता को ढकने के लिए अहिंसा का शोर मचाया जाए।"
"व्यक्ति को अपनी बुद्धिमानी के बारे में पूरा भरोसा रखना बुद्धिमानी नहीं है। यह अच्छी बात है कि याद रखा जाए कि सबसे मजबूत भी कमजोर हो सकता है और बुद्धिमान भी गलती कर सकता है।"
"आपको मानवता में विश्वास नहीं खोना चाहिए। मानवता एक समुद्र है, यदि समुद्र की कुछ बूंदें सूख जाती है तो समुद्र मैला नहीं होता।"
"ईमानदार मतभेद आम तौर पर प्रगति के स्वस्थ संकेत हैं।"
प्रारंभिक जीवन
- मोहनदास करमचन्द गांधी का जन्म पश्चिमी भारत में वर्तमान गुजरात के एक तटीय शहर पोरबंदर नामक स्थान पर 2 अक्टूबर सन् 1869 को हुआ था।
- उनके पिता करमचन्द गांधी ब्रिटिश राज के समय काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत (पोरबंदर) के दीवान थे।
- उनकी माता पुतलीबाई था।
- मई 1883 में गांधी जी की शादी कस्तूरबा से हुई थी।
- इनके चार पुत्र हरीलाल गांधी, मणिलाल गांधी, रामदास गांधी और देवदास गांधी 1900 थे।
शिक्षा
शिक्षा 4 सितम्बर 1888 को गांधी यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में कानून की पढ़ाई करने और बैरिस्टर बनने के लिये इंग्लैंड चले गए। इंग्लैंड और वेल्स बार एसोसिएशन में वापस बुलावे पर वे भारत लौट आये किन्तु बम्बई में वकालत करने में उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली। बाद में एक हाई स्कूल शिक्षक के रूप में अंशकालिक नौकरी का प्रार्थना पत्र अस्वीकार कर दिये जाने पर उन्होंने जरूरतमंदो के लिये मुकदमे की अर्जियां लिखने का काम शुरू किया लेकिन वहां पर उनका मन नहीं लगा। सन् 1893 में एक भारतीय फर्म से नेटल (दक्षिण अफ्रीका) में एक वर्ष के करार पर वकालत का कार्य स्वीकार कर लिया।
दोस्तों, अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई हो, तो शेयर करे, कमेंट करे और subscribe करे l
धन्यबाद .
By Vikash Yadav
Previous article
Next article
Mahatma Gandhi Biography In Hindi
जवाब देंहटाएं