Sir issac newton Biography in hindi | सर आइज़क न्यूटन की जीवनी हिंदी में

Sir issac newton Biography in hindi | सर आइज़क न्यूटन की जीवनी हिंदी में :



न्यूटन Newton एक महान गणितज्ञ, भौतिक वैज्ञानिक, ज्योतिष और दार्शनिक थे।

महान वैज्ञानिक न्यूटन का पूरा नाम सर आइज़क न्यूटन Sir Isaac Newton था। न्यूटन का जन्म क्रिसमिस के दिन 25 दिसम्बर 1642 को इंगलैंड के लिंकनशायर में हुआ और जन्म के समय उनका आकार बहुत छोटा था। न्यूटन का जन्म उनके पिता आइजैक न्यूटन की मृत्यु के 3 माह बाद हुआ था। उनके पिता कुशल किसान और उनकी माता का नाम हन्ना ऐस्क्फ़ था। न्यूटन तीन वर्ष की आयु में अपनी नानी मर्गेरी ऐस्क्फ़ के साथ रहने लगे क्योंकि उनकी माँ ने दूसरी शादी कर ली थी।

12 से 17 वर्ष की आयु तक न्यूटन Newton ने दी किंग्स स्कूल, ग्रान्थम में शिक्षा प्राप्त की उन्हें स्कूल से निकाल देने पर वे अक्टूबर 1959 में ‘वूल्स्थोर्पे-बाय-कोल्स्तेर्वोर्थ’ अपनी माँ के पास आ गए।

जून 1661 में न्यूटन को ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में एक सिजर के रूप में भर्ती किया गया। उस समय कॉलेज की शिक्षा यूनानी दार्शनिक अरस्तु पर आधारित थीं। लेकिन न्यूटन ओर आधुनिक दार्शनिकों व खगोलविदों जैसे कोपरनिकस, गैलीलियो और केपलर के विचारों को पढना चाहते था। 

गुरुत्वाकर्षण बल 


न्यूटन Newton एक दिन सेब के पेड़ के नीचे बैठे हुए थे। तभी उनके सिर पर एक सेब आकर गिरा इस घटना से न्यूटन के दिमाग में एक जिज्ञासा ने जन्म लिया कि यह सेब आखिर निचे ही क्यों गिरा? यह ऊपर की तरफ क्यों नहीं गया? इसके बाद न्यूटन इसकी खोज करने में लग गए की ऐसा क्या कारण है जिसकी वजह से चीजे नीचे की तरफ ही क्यों गिरती हैं?

कुछ वर्षों के बाद न्यूटन ने खोज निकाला की धरती में एक ऐसा आकर्षण बल है जो सभी चीजों को अपनी ओर खींचता हैं। आइज़क न्यूटन ने पृथ्वी के इस गुण को 'गुरुत्वाकर्षण बल Gravitational Force' का नाम दिया। इसी बल के कारण पृथ्वी और सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगा रहे हैं और हमारी पृथ्वी पर जीवन संभव है।

Newton ने बताया कि सभी ग्रह अपने-अपने गुरुत्वाकर्षण बल से बंधे होने की वजह से ही ब्रह्माण्ड में स्थिरता है। गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही आकाशगंगा व तारों की उत्पत्ति हुई, पृथ्वी पर समुद्र और वायुमंडल का होना संभव हैं।

न्यूटन की अन्य खोजें:

न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण बल और गति के तीन नियम की खोज की और वर्ष 1687 में “प्राकृतिक दर्शन के गणितीय सिद्धांतों” का एक शोध प्रपत्र प्रकाशित हुआ। इसमें सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण और गति के नियमों की व्याख्या की गई थी। इस तरह चिरसम्मत भौतिकी की नींव रखी गई।

वर्ष 1687 में न्यूटन की पुस्तक फिलोसोफी नेचुरेलिस प्रिन्सिपिया मेथेमेटिका प्रकाशित हुई जो विज्ञान के इतिहास में सबसे प्रभावशाली पुस्तक है।

न्यूटन (Newton) के सार्वत्रिक गुरुत्व और गति के तीन नियमों ने भौतिक ब्रह्मांड के वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर वर्चस्व स्थापित कर लिया।   

न्यूटन ने धरती पर वस्तुओं की गति और आकाशीय पिंडों की गति के नियंत्रण के लिए केपलर के ग्रहीय गति के नियमों और गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के बीच में निरंतरता स्थापित की।

न्यूटन ने यांत्रिकी में संवेग और कोणीय संवेग के संरक्षण के सिद्धांतों को स्थापित किया।


प्रकाशिकी में न्यूटन ने प्रथम व्यवहारिक परावर्ती दूरबीन बनाया था।

दुनिया के इस महान वैज्ञानिक का निधन 20 मार्च 1727 को लन्दन में हुआ था। न्यूटन की खोजे आज भी प्रासंगिक है और उनका आज भी उतना ही महत्त्व है जितना उस समय था। गुरुत्वाकर्षण बल को जानने के बाद ही ब्रह्माण्ड को समझ पाए है।



Mhatma gndhi biography
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Posted By vikash yadav


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