बछेंद्री पाल की जीवनी | Bachendri Pal Biography in Hindi
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इस के साथ एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक क़दम रखने वाले वे दुनिया की 5वीं महिला बनीं।भारतीय अभियान दल के सदस्य के रूप में माउंट एवरेस्ट पर आरोहण के कुछ ही समय बाद उन्होंने इस शिखर पर महिलाओं की एक टीम के अभियान का सफल नेतृत्व किया। उन्होने 1994 में गंगा नदी में हरिद्वार से कलकत्ता तक 2,500 किमी लंबे नौका अभियान का नेतृत्व किया।
हिमालय के गलियारे में भूटान , नेपाल , लेह और सियाचिन ग्लेशियर से होते हुए कराकोरम पर्वत श्रृंखला पर समाप्त होने वाला 4,000 किमी लंबा अभियान उनके द्वारा पूरा किया गया, जिसे इस दुर्गम क्षेत्र में प्रथम महिला अभियान का प्रयास कहा जाता है।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब बछेंद्री पाल Bachendri Pal जी से यह पूछा गया कि- ” एवरेस्ट पर पहुंचकर आपको कैसा लगा ?
एवरेस्ट फतेह करने वाली पहली महिला बछेंद्री पाल Bachendri Pal [ Bachendri Pal Biography in Hindi ] जी एक विश्वविद्यालय में शिक्षिका थी। लेकिन एवरेस्ट की सफलता के बाद भारत की एक आयरन एंड स्टील कंपनी ने उन्हें खेल सहायक की नौकरी के लिए ऑफर दिया उन्होंने यह ऑफर यह सोचकर स्वीकार कर लिया कि यह कंपनी इन्हें और अधिक पर्वत शिखरों पर विजय पाने के प्रयास में सहायता, सुविधा तथा मोटिवेशन प्रदान करती रहेगी। इस समय बछेंद्री पाल जी टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन नामक संस्था में नई पीढ़ी के पर्वतारोहियों को प्रशिक्षण देने का कार्य कर रही हैं।
उन्होंने स्नातक की शिक्षा पूरी करने के बाद शिक्षक की नौकरी प्राप्त करने के लिए बी.एड. की परीक्षा भी उतीर्ण की थी।
1982 में ही उन्होंने संस्थान में प्रशिक्ष्ण के दौरान 21,900 फीट उचे गंगोत्री शिखर और 19,091 फीट ऊँचे रुदूगैरा शिखर पर सफलतापूर्वक आरोहण किया था।
साल 1984 में देश का चौथा एवरेस्ट अभियान शुरू हुआ। इस अभियान में जो टीम बनी थी, उसमें बछेंद्री समेत 7 महिलाओं और 11 पुरुषों को शामिल किया गया था। इस टीम के द्वारा 23 मई 1984 को 29,028 फुट (8,848 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत ‘माउंट एवरेस्ट’ पर भारत का तिरंगा लहराया गया। इसके साथ ही एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक क़दम रखने वाले वे दुनिया की 5वीं महिला बनीं थी।
उन्होने वर्ष 1994 में गंगा नदी में हरिद्वार से कलकत्ता तक 2,500 किमी लंबे नौका अभियान का नेतृत्व भी किया है।
साल 1990 में बछेन्द्री पाल का नाम ‘गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड’ में शामिल किया गया था।
भारत सरकार द्वारा सन 1985 में उन्हें ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया था।
वर्ष 1986 में भारत सरकार ने इन्हें अपने प्रतिष्ठित खेल सम्मान ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया था।
भारत सरकार ने बछेन्द्री पाल को वर्ष 1994 में ‘नेशनल एडवेंचर अवार्ड’ से नवाजा था।
मध्य प्रदेश सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा 2013-14 में उन्हें “पहला वीरांगना लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय सम्मान” भी दिया गया है।
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बछेंद्री पाल की जीवनी | Bachendri Pal Biography in Hindi
सोमवार, 22 जुलाई 2019
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बछेंद्री पाल की जीवनी Bachendri Pal Biography in Hindi
बछेंद्री पाल की जीवनी | Bachendri Pal Biography in Hindi
बछेंद्री पाल (Bachendri Pal) का प्रारम्भिक जीवन :
बछेंद्री पाल (Bachendri Pal) [ Bachendri Pal Biography in Hindi ]का जन्म 24 मई 1954 को भारत के उत्तरांचल जिले के गढ़वाल जिले के एक छोटे से गाँव नकुरी में हुआ था | उनके पिता का नाम किशनपाल सिंह और माता का नाम हंसा देवी था |
किशनपाल सिंह एक साधारण व्यापारी थे जो अपने पांच बच्चो के पालन पोषण करने के लिए गेहू , चावल और किराणे के सामान खच्चरों पर लादकर तिब्बत ले जाते थे और वहा से तिब्बती सामान लाकर गढ़वाल में बेचते थे | उस समय भारत के चीन के साथ अच्छे सम्बन्ध थे इसलिए तिब्बत आने जाने में कोई परेशानी नही होती थी | जब भारत के साथ चीन की लड़ाई हुयी उसके बाद बछेंद्री पाल के पिता का व्यवसाय ठप्प हो गया और वो अपने परिवार के साथ आकर काशी बस गये |
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Bachendri Pal बछेंद्री पाल [ Bachendri Pal Biography in Hindi ] बचपन से ही बहुत चुस्त थी जो पढ़ाई के साथ साथ खेलकुद में भी अव्वल रहती थी | उनको पर्वतारोहण का शौक बचपन से था जिसके कारण केवल 12 वर्ष की उम्र में स्कूल पिकनिक के दौरान 13,123 फीट की उचाई पर आसानी से चढ़ गयी थी | जब वो अपने सहपाठीयो के साथ चोटी पर पहुची तो मौसम अचानक खराब हो गया और उस दल को उस चोटी पर ही रात गुजारनी पड़ी | बिना भोजन पानी के उस रात को बछेंद्री पाल कभी नही भूल पायी और उसी दिन से उसके मन में पर्वतों के प्रति प्रेम ऑर ज्यादा बढ़ गया | बड़ी मुश्किल से उन्होंने मैट्रिक उच्च माध्यमिक शिक्षा उत्तीर्ण की |
अब उनके माता पिता Bachendri Pal बछेंद्री पाल [ Bachendri Pal Biography in Hindi ]को ओर ज्यादा पढ़ाने के पक्ष में नही थे लेकिन महाविध्यालय के प्राचार्य के कहने पर बछेंद्री पाल ने कॉलेज में दाखिला ले लिया | अब कॉलेज ने उन्होंने शूटिंग भी सीखी और एक शूटिंग प्रतियोगिता में भी विजय प्राप्त की | उसके बाद बछेंद्री पाल ने स्नातकोत्तर उअर बी.एड. की परीक्षा भी उतीर्ण की |
Bachendri Pal ji ka Career:
बछेंद्री [ Bachendri Pal Biography in Hindi ] के लिए पर्वतारोहण का पहला मौक़ा 12 साल की उम्र में आया, जब उन्होंने अपने स्कूल की सहपाठियों के साथ 400 मीटर की चढ़ाई की। 1984 में भारत का चौथा एवरेस्ट अभियान शुरू हुआ। इस अभियान में जो टीम बनी, उस में बछेंद्री समेत 7 महिलाओं और 11 पुरुषों को शामिल किया गया था। इस टीम के द्वारा 23 मई 1984 को अपराह्न 1 बजकर सात मिनट पर 29,028 फुट (8,848 मीटर) की ऊंचाई पर ‘सागरमाथा (एवरेस्ट)’ पर भारत का झंडा लहराया गया।इस के साथ एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक क़दम रखने वाले वे दुनिया की 5वीं महिला बनीं।भारतीय अभियान दल के सदस्य के रूप में माउंट एवरेस्ट पर आरोहण के कुछ ही समय बाद उन्होंने इस शिखर पर महिलाओं की एक टीम के अभियान का सफल नेतृत्व किया। उन्होने 1994 में गंगा नदी में हरिद्वार से कलकत्ता तक 2,500 किमी लंबे नौका अभियान का नेतृत्व किया।
हिमालय के गलियारे में भूटान , नेपाल , लेह और सियाचिन ग्लेशियर से होते हुए कराकोरम पर्वत श्रृंखला पर समाप्त होने वाला 4,000 किमी लंबा अभियान उनके द्वारा पूरा किया गया, जिसे इस दुर्गम क्षेत्र में प्रथम महिला अभियान का प्रयास कहा जाता है।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब बछेंद्री पाल Bachendri Pal जी से यह पूछा गया कि- ” एवरेस्ट पर पहुंचकर आपको कैसा लगा ?
तो उन्होंने उत्तर दिया – “मुझे लगा कि मेरा सपना साकार हो गया।
एवरेस्ट फतेह करने वाली पहली महिला बछेंद्री पाल Bachendri Pal [ Bachendri Pal Biography in Hindi ] जी एक विश्वविद्यालय में शिक्षिका थी। लेकिन एवरेस्ट की सफलता के बाद भारत की एक आयरन एंड स्टील कंपनी ने उन्हें खेल सहायक की नौकरी के लिए ऑफर दिया उन्होंने यह ऑफर यह सोचकर स्वीकार कर लिया कि यह कंपनी इन्हें और अधिक पर्वत शिखरों पर विजय पाने के प्रयास में सहायता, सुविधा तथा मोटिवेशन प्रदान करती रहेगी। इस समय बछेंद्री पाल जी टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन नामक संस्था में नई पीढ़ी के पर्वतारोहियों को प्रशिक्षण देने का कार्य कर रही हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य :
इनके पिता का नाम किशनपाल सिंह और माता का नाम हंसा देवी है।उन्होंने स्नातक की शिक्षा पूरी करने के बाद शिक्षक की नौकरी प्राप्त करने के लिए बी.एड. की परीक्षा भी उतीर्ण की थी।
1982 में ही उन्होंने संस्थान में प्रशिक्ष्ण के दौरान 21,900 फीट उचे गंगोत्री शिखर और 19,091 फीट ऊँचे रुदूगैरा शिखर पर सफलतापूर्वक आरोहण किया था।
साल 1984 में देश का चौथा एवरेस्ट अभियान शुरू हुआ। इस अभियान में जो टीम बनी थी, उसमें बछेंद्री समेत 7 महिलाओं और 11 पुरुषों को शामिल किया गया था। इस टीम के द्वारा 23 मई 1984 को 29,028 फुट (8,848 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत ‘माउंट एवरेस्ट’ पर भारत का तिरंगा लहराया गया। इसके साथ ही एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक क़दम रखने वाले वे दुनिया की 5वीं महिला बनीं थी।
उन्होने वर्ष 1994 में गंगा नदी में हरिद्वार से कलकत्ता तक 2,500 किमी लंबे नौका अभियान का नेतृत्व भी किया है।
साल 1990 में बछेन्द्री पाल का नाम ‘गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड’ में शामिल किया गया था।
भारत सरकार द्वारा सन 1985 में उन्हें ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया था।
वर्ष 1986 में भारत सरकार ने इन्हें अपने प्रतिष्ठित खेल सम्मान ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया था।
भारत सरकार ने बछेन्द्री पाल को वर्ष 1994 में ‘नेशनल एडवेंचर अवार्ड’ से नवाजा था।
मध्य प्रदेश सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा 2013-14 में उन्हें “पहला वीरांगना लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय सम्मान” भी दिया गया है।
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Bachendri Pal [ Bachendri Pal Biography in Hindi ] ji ke सम्मान व पुरूस्कार:
- भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन से पर्वतारोहण में उत्कृष्टता के लिए स्वर्ण पदक (1984)
- पद्मश्री (1984) से सम्मानित |
- उत्तर प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा स्वर्ण पदक (1985)|
- अर्जुन पुरस्कार (1986) भारत सरकार द्वारा|
- कोलकाता लेडीज स्टडी ग्रुप अवार्ड (1986)|
- गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड (1990) में सूचीबद्ध|
- नेशनल एडवेंचर अवार्ड भारत सरकार के द्वारा (1994)|
- उत्तर प्रदेश सरकार का यश भारती सम्मान (1995)|
- संस्कृति मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार की पहला वीरांगना लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय सम्मान (2013-14)|
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