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Neerja Bhanot

 नीरजा भनोट (Neerja Bhanot)  सैंकड़ों लोगों को उनकी जिंदगी के आने वाले सुनहरे दिन सौगात में दे गई। शायद इसलिए ही आज आप उनके बारे में बात करते हैं और हम उनके बारे में लिख रहे हैं।

 नीरजा के नाम सबसे कम उम्र में सर्वोच्‍च सैनिक सम्‍मान अशोक चक्र को हासिल करने का रिकॉर्ड दर्ज है लेकिन मरणोपरांत। आइए आपको बताते हैं कि कौन थी नीरजा भनोट और आखिर क्‍यों करीब तीन दशक बाद न सिर्फ भारत बल्कि पाकिस्‍तान और अमेरिका के लोग भी उनका जिक्र करते हैं।

नीरजा भनोट का जन्‍म :

पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में हुआ था। उनके माता-पिता रमा भनोट और हरीश भनोट मुंबई बेस्‍ड जर्नलिस्‍ट थे। वर्ष 1985 में शादी के बंधन में बंधी नीरजा को सिर्फ दो माह बाद दहेज के दबाव के चलते पति को छोड़कर मुंबई वापस आना पड़ा।

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विमान अपहरण की घटना:

मुम्बई से न्यूयॉर्क के लिये रवाना पैन ऍम-73 को कराची में चार आतंकवादियों ने अपहृत कर लिया और सारे यात्रियों को बंधक बना लिया। नीरजा उस विमान में सीनियर पर्सर के रूप में नियुक्त थीं और उन्हीं की तत्काल सूचना पर चालक दल के तीन सदस्य विमान के कॉकपिट से तुरंत सुरक्षित निकलने में कामयाब हो गये। पीछे रह गयी सबसे वरिष्ठ विमानकर्मी के रूप में यात्रियों की जिम्मेवारी नीरजा के ऊपर थी और जब १७ घंटों के बाद आतंकवादियों ने यात्रियों की हत्या शुरू कर दी और विमान में विस्फोटक लगाने शुरू किये तो नीरजा विमान का इमरजेंसी दरवाजा खोलने में कामयाब हुईं और यात्रियों को सुरक्षित निकलने का रास्ता मुहैय्या कराया।

वे चाहतीं तो दरवाजा खोलते ही खुद पहले कूदकर निकल सकती थीं किन्तु उन्होंने ऐसा न करके पहले यात्रियों को निकलने का प्रयास किया। इसी प्रयास में तीन बच्चों को निकालते हुए जब एक आतंकवादी ने बच्चों पर गोली चलानी चाही नीरजा के बीच में आकार मुकाबला करते वक्त उस आतंकवादी की गोलियों की बौछार से नीरजा की मृत्यु हुई। नीरजा के इस वीरतापूर्ण आत्मोत्सर्ग ने उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हीरोइन ऑफ हाईजैक के रूप में मशहूरियत दिलाई।अगर निरजा चाहती तो सब से आगे निकल कर अपनी जान बचा सकती थी लेकिन निरजा ने ऐसा कुछ भी नहीं किया क्योंकि वह अपने सभी यात्रियों की जान बचाना चाहती थी,आखरी में जब निरजा उस प्लेन से बाहर निकल रही थी तो उसने देखा कि 3 बच्चे उस प्लेन में फस चुके हैं उन को ले जाने वाला उन को बाहर निकालने वाला कोई भी नहीं है इसलिए उसने उन तीनों बच्चों को बाहर निकालने की कोशिश की लेकिन बहार निकालते समय ही उन सभी आतंकवादियों ने उस लड़की को मार डाला और बेचारी वह मिर्जा मारी गई वो 3 बच्चे तो किसी तरह बच गए थे,लेकिन बिचारी निरजा मारी जा चुकी थी एक ऐसी बच्ची आज मारी जा चुकी थी जिसने 376 लोगों की जान बचाई.

नीरजा के इस साहसिक कार्य और उनके बलिदान को याद रखने के लिये उन पर फ़िल्म निर्माण की घोषणा वर्ष २०१० में ही हो गयी थी परन्तु किन्हीं कारणों से यह कार्य टलता रहा। अप्रैल २०१५ में यह खबर आयी कि राम माधवानी के निर्देशन में इस फ़िल्म की शूटिंग शुरू हुई है। इस फ़िल्म में नीरजा का किरदार अभिनेत्री सोनम कपूर अदा किया है। यह फ़िल्म 19 फ़रवरी 2016 को रिलीज हुई है। इस फ़िल्म के प्रोड्यूसर अतुल काशबेकर हैं।

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नीरजा भनोट(Neerja Bhanot) के पुरस्कार :

1. अशोक चक्र, भारत
2. फ्लाइट सेफ्टी फाउंडेशन हेरोइस्म अवार्ड, USA
3. जस्टिस फॉर क्राइम अवार्ड, यूनाइटेड स्टेट (कोलंबिया)
4. विशेष बहादुरी पुरस्कार, यूनाइटेड स्टेट (जस्टिस विभाग)

नीरजा ने जान देकर देश-दुनिया की दुवाएं हासिल कींय. अवॉर्ड पाए. भारत सरकार बहादुरी के सबसे बड़े अवॉर्ड अशोक चक्र से सम्मानित किया. पाकिस्तान सरकार ने उन्हें तमगा-ए-इंसानियत से नवाज़ा. अमेरिकी सरकार ने नीरजा को 2005 में जस्टिस फॉर क्राइम अवॉर्ड से सम्मानित किया. 2004 में भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट भी जारी किया था.

पाकिस्‍तान ने भी दिया सम्‍मान:

 पाकिस्‍तान ने नीरजा को तमगा-ए-इंसानियत पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया जो मानवता की असाधारण सेवा के लिए दिया जाता है। वहीं अमेरिका के कोलंबिया के अटॉर्नी ऑफिस की ओर से नीरजा को जस्टिस फॉर क्राइम अवॉर्ड दिया गया। इसके अलावा अमेरिकी सरकार कर स्‍पेशल करेज अवॉर्ड और फ्लाइट सेफ्टी फाउंडेशन की ओर से हीरोइज्‍म अवॉर्ड दिया गया।

दुनिया नीरजा को ‘हीरोइन ऑफ हाईजैक’ के नाम से जानती है. उनकी याद में मुंबई के घाटकोपर इलाके में एक चौराहे का नाम रखा गया है, जिसका उद्घाटन किया था अमिताभ बच्चन ने.

 एक संस्था भी है जिसका नाम है नीरजा भनोट पैन ऍम न्यास. ये ऑर्गनाइजेशन महिलाओं को हिम्मत और बहादुरी के लिए अवॉर्ड देती है. हर साल दो अवॉर्ड दिए जाते हैं. एक हवाई जहाज पर रहने वालों को इंटरनेशनल लेवल पर. दूसरा इंडिया में महिलाओं को बहादुरी के लिए. नाइंसाफी और अत्याचार के खिलाफ लड़ने के लिए

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मृत्यु

नीरजा भनोट 5 सितंबर 1986 के पैन ऐम उड़ान 73 के अपहृत विमान में यात्रियों की सहायता एवं सुरक्षा करते हुए आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हो गईं थीं।

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धन्यवाद.. 

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