Robert Goddard Biography in Hindi | रॉकेट के जन्मदाता रॉबर्ट गोडार्ड की जीवनी

Robert Goddard Biography in Hindi | रॉकेट के जन्मदाता रॉबर्ट गोडार्ड की जीवनी




रॉबर्ट गोडार्ड का जन्म 5 अक्टूबर, 1882 में अमेरिका के मैसाचुसेट्स नगर में हुआ था। नाहम डेनफोर्ड गोडार्ड उनके पिता थे और उनकी मां का नाम फैनी लुईस होयट था। 1908 में गोडार्ड ने अपनी शिक्षा पूरी कर ली थी। विद्यार्थी जीवन में गोडार्ड को रॉकेट विज्ञान में गहरी रूचि उत्पन्न हो गयी थी। उन्हें इसकी प्रेरणा जूल्स वर्न और एच. जी. वेल्स के वैज्ञानिक उपन्यास पढ़ने से मिली थी।

19 अक्टूबर, 1899 की बात है। उन्होंने एच. जी. वेल्स का उपन्यास ‘वार ऑफ दि वल्डर्स’ पढ़कर खत्म किया ही था। उस दिन घर के पिछवाड़े बने बगीचे में चेरी के पेड़ पर चढ़कर वह उसकी सूखी डालियां तोड़ रहे थे पर उनका मन नहीं लग रहा था। उनके मन में रह-रहकर उपन्यास की कहानी उभर रही थी और अचानक उनके हाथ रूक गए। वह एक ऐसे अन्तरिक्ष यान की कल्पना में खो जाते है जिसमें इतने शक्तिशाली इंजन लगे हुए हैं कि वे उसकी मदद से एक ग्रह से दूसरे ग्रह में उड़कर पहुंच जाते है। मगर जल्द ही उनका सपना टूट गया। वह मायूस हो गये, आखिर इतने शक्तिशाली इंजन बनेंगे कैसे?

अब इसी पहेली का हल ढूढंना तो गोडार्ड के जीवन का एकमात्र एवं सर्वोपरि उद्देश्य था और सचमुच उन्होंने अपना समूचा जीवन इसी में लगा दिया।

रॉबर्ट गोडार्ड (Robert Goddard) ने 1926 में तरल इंधन से चलने वाले राकेट का अपने ही शहर में सफलतापूर्वक परीक्षण किया | आरम्भ में राकेट केवल चार फुट ऊँचे थे लेकिन सन 1929 में इन्होने एक बहुत लम्बा राकेट छोड़ा जो इतिहास का सबसे बड़ा राकेट था | इस राकेट में कुछ यंत्र रखे गये थे | इन्ही यंत्रो में थर्मामीटर , बैरोमीटर और एक छोटा सा कैमरा था | इनका ये नया राकेट बहुत ही आवाज पैदा करता था |इसकी आवाज की खिलाफत में लोगो ने पुलिस को शिकायते की |पुलिस ने रॉबर्ट गोडार्ड को हुक्म दिया कि वह राज्य में अब कोई राकेट नही छोड़ेगा |



सन 1927 में रॉबर्ट गोडार्ड (Robert Goddard) ने 1926 में तरल इंधन से चलने वाले राकेट का अपने ही शहर में सफलतापूर्वक परीक्षण किया | आरम्भ में राकेट केवल चार फुट ऊँचे थे लेकिन सन 1929 में इन्होने एक बहुत लम्बा राकेट छोड़ा जो इतिहास का सबसे बड़ा राकेट था | इस राकेट में कुछ यंत्र रखे गये थे | इन्ही यंत्रो में थर्मामीटर , बैरोमीटर और एक छोटा सा कैमरा था | इनका ये नया राकेट बहुत ही आवाज पैदा करता था |इसकी आवाज की खिलाफत में लोगो ने पुलिस को शिकायते की |पुलिस ने रॉबर्ट गोडार्ड को हुक्म दिया कि वह राज्य में अब कोई राकेट नही छोड़ेगा |

सन 1927 में लिंडबर्ग नामक व्यक्ति ने रॉबर्ट गोडार्ड (Robert Goddard) के विषय में सुना | उसने अमेरिकी उद्योगपति डेनियल को उत्साहित किया कि वह इस भौतिकविद को 50 हजार डॉलर सहायता प्रदान करे | रॉबर्ट गोडार्ड को सहायता मिल गयी | रॉबर्ट गोडार्ड (Robert Goddard) ने न्यू मैक्सिको का मैदान में प्रयोगात्मक केंद्र बनाया जहा वे राकेट बनाते था और छोड़ते थे | वो 500 मील प्रति घंटे के वेग से चलने वाले और डेढ़ मील ऊँचाई तक जाने वाल राकेट बना पाए |

सन 1935 में वे ऐसे राकेट उड़ाने में सफल हुए जो ध्वनि के वेग से भी तेज गति से चलते थे | इन्होने अपने जीवनकाल में राकेटरी के क्षेत्र में 200 से अधिक पेटेंट कराए |इनके विकासकार्यो में बहुचरणीय राकेट विशेष था | आज के तीन चरण वाले बूस्टर राकेट इन्ही के सिद्धांत पर कार्य करते है | सन 1935 तक अमेरिकी सरकार ने इनके राकेट कार्यो को अधिक महत्व नही दिया | द्वितीय विश्वयुद्ध में इन्होने जेट राकेट बनाये | अपने जीवनकाल में रॉबर्ट गोडार्ड (Robert Goddard) को बहुत अधिक नाम नही मिला |

सन 1945 में रॉबर्ट गोडार्ड (Robert Goddard) की मृत्यु के बाद जब राकेटरी युग आरम्भ हुआ तभी इनके राकेटरी कार्यो को विशेष मान्यता मिली | रॉबर्ट गोडार्ड (Robert Goddard) को इस क्षेत्र में कभी नही भुलाया जा सकता | आज रॉबर्ट गोडार्ड के सिद्धांत पर कार्य करने वाले प्रयोग सारी दुनिया में होते है | अन्तरिक्ष यानो और उपग्रहों को ले जाने वाले सभी राकेट रॉबर्ट गोडार्ड के सिद्धांत पर कार्य करते है | बूस्टर राकेट भी उन्ही के सिद्धांतो पर बनाये जाते है |



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