Raja Ram Mohan Roy Biography in Hindi | राजा राम मोहन रॉय की जीवनी
Raja Ram Mohan Roy Biography in Hindi | राजा राम मोहन रॉय की जीवनी
गुरुवार, 9 मई 2019
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Raja Ram Mohan Roy Biography in Hindi | राजा राम मोहन रॉय की जीवनी
नाम – राजा राममोहन रॉय ( Raja Ram Mohan Roy )
जन्मतिथि – 22 मई, 1772
जन्मस्थल – बंगाल के हुगली जिले के राधानगर गाँव में
माता का नाम – तैरिनी
पिता का नाम – रामकंतो रॉय
पेशा – ईस्ट इंडिया कम्पनी में कार्य, जमीदारी और सामजिक क्रान्ति के प्रेरक
प्रसिद्धि का कारण – सती प्रथा, बाल विवाह और बहु विवाह का विरोध
पत्रिकाएं – ब्रह्मोनिकल पत्रिका, सम्बाद कौमुडियान्द मिरत-उल-अकबर
उपलब्धि – इनके प्रयासों से 1829 में सती प्रथा पर कानूनी रोक लग गई
मृत्युतिथि – 22 सितम्बर, 1833
समाज को दिशा और गति देने वाले व्यक्ति ही महापुरुष या महान प्रतिभा वाले कहे जाते है और ऐसी महान प्रतिभाओ में राममोहन रॉय का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है | राममोहन रॉय (Raja Ram Mohan Roy) उस वैचारिक क्रान्ति के सृष्टा थे जिसने आधुनिक भारत को जन्म दिया | उन्होंने इस देश को मध्ययुगीन दलदल में फंसा पाया और उसने ऐसी जान फूंकी कि भारतीय विचार और जीवन की धारा ही बदल गयी | धर्मगत रुढियो , अंधविश्वासों तथा सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने के लिए चलाए गये विभिन्न धार्मिक और सामाजिक आंदोलनों में राजा राममोहन रॉय द्वारा स्थापित ब्रह्म समाज एक अग्रणी स्थान रखता है | विचारों और कार्यो के माध्यम से इस समाज ने भारतीय सामाजिक जीवन को नई दिशा प्रदान की है
समाजसुधारक राजा राम मोहन राय की जीवनी
नवीन मानवता और नये भारतवर्ष की कल्पना करने वाले राजा राम मोहन राय ने हमें आधुनिकता की राह दिखाई। राजा राम मोहन राय की प्रतिभा बहुमुखी थी। सार्वभौमिकता के संदेश वाहक, स्वतंत्रता के सभी पक्षों के उत्साही समर्थक तथा प्रेस की स्वतंत्रता और रैयत के अधिकारों के लिये राजनीतिक आन्दोलन कर्ता थे। आधुनिक प्रवृत्ति तथा प्रभाव का
गुणात्मक स्तर प्रदान करने वाले राजा राम मोहन राय आधुनिकता के प्रवर्तकों में प्रथम थे। आधुनिक भारत की परिकल्पना में जो प्रयास किये जा रहे हैं उसका पूर्वाभास राजा राम मोहन राय के विचारों एवं कार्यों में विद्यमान था।
जन्म
राजा राम मोहन राय का 22 मई 1772 को बंगाल के हुगली जिले के राधा नगर गाँव में हुआ था। पिता का नाम रमाकान्त राय एवं माता का नाम तारिणी देवी था। उनके प्रपितामह कृष्ण चन्द्र बर्नजी बंगाल के नवाब की सेवा में थे। उन्हें राय की उपाधि प्राप्त थी। ब्रिटिश शाशकों के समक्ष दिल्ली के मुगल सम्राट की स्थिति स्पष्ट करने के कारण सम्राट ने उन्हें राजा की उपाधि से विभूषित किया था।
प्रतिभा के धनी राजा राम मोहन राय बहुभाषाविद् थे। उन्हें बंगला , फारसी, अरबी, संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, ग्रीक, फ्रैन्च, लेटिन आदि भाषाओं का अच्छा ज्ञान था। इन भाषाओं में वे अपने भावों को कुशलता से अभिव्यक्त करने की क्षमता रखते थे। वैष्णव भक्त परिवार के होने के बावजूद राजा राम मोहन राय की आस्था अन्य धर्मों में भी थी।
शिक्षा
Raja Ram Mohan Roy राजा राम मोहन रॉय की प्रारभिक शिक्षा गाव की पाठशाळा में हुआ जहा पर उन्होंने वर्णमाला और गणित की शिक्षा ली थी | उसके बाद अरबी-फ़ारसी पढने के लिए वो पटना चले गये जहा उन्होंने इन दोनों भाषाओ में दक्षता हासिल कर ली थी | राजा राम मोहन रॉय की किशोरवस्था में एक संस्कृत अध्यापक नन्दकुमार से मुलाकात हुयी जिनसे उन्होंने संस्कृत के अलावा तन्त्र साधना भी सीखी थी | उन्होंने कम उम्र में ही तिब्बत की यात्रा भी की थी जहा पर उनको अनेक काष्ठो का सामना करना पड़ा था | वहा लामाओं को इश्वर की भांति पूजा जाता था और राजा राम मोहन रॉय एक इश्वर में विश्वास रखते थे |
उनके इन्ही विचारों की वजह से उनके खिलाफ विद्रोह हो गया था जिसके कारण उन्हें प्राण मुशिकल हो गया था | तब वहा पर एक तिब्बती महिला ने उनको आश्रय दिया और उन्हें वापस भारत भेजने की भी व्यवस्था की थी | राम मोहन रॉय ने तीन बार शादी की थी जिसके कारण उन्होंने समाज में बहुविवाही प्रथा को बढ़ावा दिया था | उनकी पहली पत्नी की बचपन में ही मृत्यु हो गयी थी पहली पत्नी से राधाप्रसाद का जन्म हुआ था | उसके बाद उन्होंने दुसरी शादी कर कर ली जिससे उनको दूसरा पुत्र राम प्रसाद का जन्म हुआ था | रॉय की तीसरी पत्नी उनके साथ आजीवन रही थी |
समाज सुधार में अहम भूमिका :
18 वी शताब्दी के आरंभ में बंगाल में समाज में लोग रीती रिवाजो के बोझ तले दबे हुए थे , कुछ धर्म के ज्ञानी धर्म के नाम पर लोगो को भटका रहे थे धर्म के नाम पर कई कुरीतियों और रिवाजो को चलाया जा रहा था .
ये मुक्त भाषण और अभिव्यक्ति में सशक्त थे , इन्होने फारसी में मिरातुल नामक अखबार चलाया और एक बंगाली साप्ताहिक अख़बार का भी प्रकाशन किया . उनका कहना था कि सच्चाई को कभी भी दबाना नही चाहिए .
राजा राम मोहन राय के बोले हुए अनमोल वचन (Famous Quotes of Raja RamMohan Rai)
यह व्यापक विश्व ब्रमह का पवित्र मंदिर है , शुद्ध शास्त्र है , श्रद्धा का मूल है , प्रेम ही परम साधन है स्वार्थो का त्याग ही वैराग्य है .
प्रत्येक स्त्री को पुरुषो की तरह अधिकार प्राप्त हो , क्योकि स्त्री ही पुरुष की जननी है. हमें हर हाल में स्त्री का सम्मान करना चाहिए .
राजा राम मोहन राय का निधन (Death of Raja Ram Mohan Rai)
इन्हे 1830 में मुगल सम्राट द्वारा कुछ कार्य को सुनिश्चित करने के लिए इंग्लेंड भेजा गया . यात्रा के दौरान राममोहन राय को मेनिंगजइटिस होने से 27 सितंबर 1833 में इनकी मृत्यु हो गई . इन्हें इंग्लैंड के ब्रिस्टल में अनोर्स वेले कब्रिस्तान में दफनाया गया . इस प्रकार एक नए भारत के रचिता का स्वर्गवास हो गया, इनके सम्मान में ब्रिस्टल की सड़क को इनका नाम दिया गया है .
राजा राम मोहन राय ने हमें एक नया भारत सौपा है लेकिन आज समाज में महिलाओं की असुरक्षा को देख कर एसा लगता है दोबारा राजा राम मोहन राय को भारत की धरती पर जन्म लेना होगा . हम इनके प्रशंसनीय कार्यो के लिए इन्हें नमन करते है और भावपूर्ण श्रधांजलि देते है .
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posted by vikash yadav
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