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डॉक्टर मुथुलक्ष्मी रेड्डी को देश की पहली महिला विधायक के रूप में याद किया जाता है। मुथुलक्ष्मी लड़कों के स्कूल में दाखिला लेने वालीं देश की पहली महिला भी थीं। मुथु जीवन भर महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़तीं रहीं और देश की आज़ादी की लड़ाई में भी उन्होंने बढ़-चढ़कर सहयोग दिया।
नाम मुथुलक्ष्मी रेड्डी
जन्म तिथि 30 जुलाई 1886
जन्म स्थान मद्रास (ब्रिटिश भारत)
निधन तिथि 22 जुलाई 1968
उपलब्धि भारत की पहली महिला विधायक
उपलब्धि वर्ष 1927
कम उम्र में होने वाली थी शादी
डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी का जन्म 30 जुलाई, सन् 1883 को तमिलनाडु के पुडुकोट्टई में हुआ। माता-पिता उनकी शादी छोटी उम्र में ही कर देना चाहते थे, लेकिन डॉ. रेड्डी ने इसका विरोध करते हुए पढ़ाई पूरी करने की बात कही। शुरुआती शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए मद्रास मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया। इस कॉलेज में डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाली पहली महिला छात्र भी डॉ. रेड्डी ही थीं। यही वह कॉलेज था जहां उनकी दोस्ती एनी बेसेंट और सरोजिनी नायडू से हुई।
किया राजनीति का रुख
कुछ ही सालों में डॉ. रेड्डी ने मेडिकल करियर को छोड़ राजनीति का रुख किया। मद्रास विधानसभा की पहली महिला सदस्य बनने के बाद उन्होंने कम आयु में लड़कियों की शादी रोकने के लिए नियम बनाए। साथ ही उन्होंने समाज में महिलाओं के शोषण के खिलाफ भी अपनी आवाज को बुलंद किया।
कैंसर अस्पताल की शुरुआत
डॉ. रेड्डी को अपनी बहन की कैंसर से हुई मृत्यु का गहरा सदमा लगा था। इसके बाद उन्होंने साल 1954 में चेन्नै में अद्यार कैंसर इंस्टिट्यूट की शुरुआत की। यह कैंसर अस्पताल अभी भी दुनिया के सबसे सम्मानित कैंसर अस्पतालों में से एक है। यहां हर साल 80,000 से ज्यादा कैंसर पीड़ितों का इलाज किया जाता है।
सरकार ने किया सम्मानित
साल 1956 में उन्हें देश की सेवा करने के लिए भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया। समाज की बेहतरी के लिए अपने जीवन को समर्पित करने वाली डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी का निधन 22 जुलाई सन् 1968 को चेन्नै में हुआ।
मुथुलक्ष्मी रेड्डी से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य:
मुथुलक्ष्मी को डॉक्टर मुथुलक्ष्मी रेड्डी भी कहा जाता है।
मुथु के पिता एस नारायण स्वामी चेन्नई के महाराजा कॉलेज के प्रिंसिपल थे।
मुथुलक्ष्मी देश की पहली (मेडिकल ग्रेजुएट) महिला डॉक्टर भी थीं।
मुथुलक्ष्मी पुरुषों के कॉलेज में दाखिला लेने और मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई करने वाली पहली महिला थी।
मद्रास मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने के बाद उनकी दोस्ती एनी बेसेंट और सरोजिनी नायडू से हुई, जिनका नाम भारतीय इतिहास में दर्ज है।
वह मद्रास के सरकारी मातृत्व और नेत्र अस्पताल की पहली महिला हाउस सर्जन भी बनी।
वर्ष 1918 में, उन्होंने “महिला भारतीय संघ” की स्थापना में मदद की थी।
मुथु को साल 1927 में मद्रास लेजिस्लेटिव काउंसिल से देश की पहली महिला विधायक बनने का गौरव भी हासिल हुआ।
साल 1956 में उन्हें समाज के लिए किये गए अपने कार्यों के लिए पद्म भूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया।
22 जुलाई 1968 को उनका निधन हो गया।
मुथुलक्ष्मी रेड्डी का जीवन परिचय | Muthulakshmi Reddi biography in hindi
शनिवार, 25 जून 2022
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मुथुलक्ष्मी रेड्डी का जीवन परिचय:
जन्म तिथि 30 जुलाई 1886
जन्म स्थान मद्रास (ब्रिटिश भारत)
निधन तिथि 22 जुलाई 1968
उपलब्धि भारत की पहली महिला विधायक
उपलब्धि वर्ष 1927
कम उम्र में होने वाली थी शादी
किया राजनीति का रुख
कुछ ही सालों में डॉ. रेड्डी ने मेडिकल करियर को छोड़ राजनीति का रुख किया। मद्रास विधानसभा की पहली महिला सदस्य बनने के बाद उन्होंने कम आयु में लड़कियों की शादी रोकने के लिए नियम बनाए। साथ ही उन्होंने समाज में महिलाओं के शोषण के खिलाफ भी अपनी आवाज को बुलंद किया।
कैंसर अस्पताल की शुरुआत
डॉ. रेड्डी को अपनी बहन की कैंसर से हुई मृत्यु का गहरा सदमा लगा था। इसके बाद उन्होंने साल 1954 में चेन्नै में अद्यार कैंसर इंस्टिट्यूट की शुरुआत की। यह कैंसर अस्पताल अभी भी दुनिया के सबसे सम्मानित कैंसर अस्पतालों में से एक है। यहां हर साल 80,000 से ज्यादा कैंसर पीड़ितों का इलाज किया जाता है।
सरकार ने किया सम्मानित
साल 1956 में उन्हें देश की सेवा करने के लिए भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया। समाज की बेहतरी के लिए अपने जीवन को समर्पित करने वाली डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी का निधन 22 जुलाई सन् 1968 को चेन्नै में हुआ।
मुथुलक्ष्मी रेड्डी से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य:
मुथुलक्ष्मी को डॉक्टर मुथुलक्ष्मी रेड्डी भी कहा जाता है।
मुथु के पिता एस नारायण स्वामी चेन्नई के महाराजा कॉलेज के प्रिंसिपल थे।
मुथुलक्ष्मी देश की पहली (मेडिकल ग्रेजुएट) महिला डॉक्टर भी थीं।
मुथुलक्ष्मी पुरुषों के कॉलेज में दाखिला लेने और मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई करने वाली पहली महिला थी।
मद्रास मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने के बाद उनकी दोस्ती एनी बेसेंट और सरोजिनी नायडू से हुई, जिनका नाम भारतीय इतिहास में दर्ज है।
वह मद्रास के सरकारी मातृत्व और नेत्र अस्पताल की पहली महिला हाउस सर्जन भी बनी।
वर्ष 1918 में, उन्होंने “महिला भारतीय संघ” की स्थापना में मदद की थी।
मुथु को साल 1927 में मद्रास लेजिस्लेटिव काउंसिल से देश की पहली महिला विधायक बनने का गौरव भी हासिल हुआ।
साल 1956 में उन्हें समाज के लिए किये गए अपने कार्यों के लिए पद्म भूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया।
22 जुलाई 1968 को उनका निधन हो गया।
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