Biography of Sunita Williams in Hindi – सुनीता विलियम्स का जीवन परिचय
प्रारंभिक जीवन
सुनीता विलियम्स का जन्म अमेरिका के ओहायो राज्य के यूक्लिड शहर में 19 सितंबर, 1965 में हुआ था। उनके पिता डॉ दीपक पंड्या सन 1964 में भारत से अमेरिका चले गए थे। उनकी माता उर्सुलीन बोनी पंड्या स्लोवेन-अमेरिकी मूल की हैं। अपने तीन भाई-बहनों में सुनीता सबसे छोटी हैं। उनके भाई जय थॉमस पंड्या उनसे चार साल बड़े हैं और उनकी बहन डायना अन्ना तीन साल।
सुनीता के पिता डॉ दीपक पंड्या का सम्बन्ध भारतीय राज्य गुजरात के मेहसाना जिले से हैं जहाँ उनका जन्म झुलासन में हुआ था जबकि उनकी माता के परिवार का सम्बन्ध स्लोवेनिया से है।
विलियम्स ने मस्साचुत्तेस (नीधम) के नीधम हाई स्कूल से सन 1983 में स्कूल की पढ़ाई पूरी की और सन 1987 में ‘यूनाइटेड स्टेट्स नेवल अकैडमी’ से फिजिकल साइंस में स्नातक किया। इसके पश्चात उन्होंने फ्लोरिडा इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से सन 1995 में ‘इंजिनीरिंग प्रबंधन’ में स्नातकोत्तर किया।
अंतरिक्ष में “भगवत गीता” साथ ले गईं थी सुनीता विलियम्स –
सुनीता विलियम भगवान के प्रति भी खासी आस्था रखने वालों में से एक हैं वे हिन्दुओं के सर्वोच्च भगवान भगवान गणेश जी की आराधना में यकीन रखती हैं। साथ ही ये भी कहा जाता है कि वे अपनी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान हिन्दुओं का धार्मिक ग्रन्थ भगवद् गीता भी ले गईं थी जिससे वे खाली समय में पढ़ना पसंद करती हैं। और भगवत गीता के उपदेशों को अपनी असल जिंदगी में अपनाना चाहती हैं जिससे भगवान का आशीर्वाद उन पर हमेशा बना रहे। इसके साथ ही सुनीता विलियम्स सोसाइटी ऑफ़ एक्सपेरिमेंटल टेस्ट पायलट की सदस्य भी रही हैं।
सुनीता विलियम्स की शादी – Sunita Williams Marriage
आपको बता दें कि जब वे 1995 में Florida Institute of Technology से M.Sc. Engineering Mgmt. की शिक्षा हासिल कर रही थी तभी उनकी मुलाकात माइकल जे. विलियम्स से हुई। वे दोनों पहले दोस्त बने और उनकी ये दोस्ती प्यार में बदल गई जिसके बाद दोनों ने एक-दूसरे से शादी करने का फैसला लिया इस तरह दोनो की शादी हो गई।
आपको बता दें कि माइकल जे. विलियम एक नौसेना पोत चालक, हेलीकाप्टर पायलट, परिक्षण पायलट, पेशेवर नौसैनिक और गोताखोर भी है।
1987 में नौसेना से जुड़ीं सुनीता विलियम्स – Sunita Williams Career
भारतीय मूल की अमेरिकी नौसेना की कैप्टन सुनीता बाकी लड़िकयों से अलग थी। उनका बचपन से सपना कुछ अलग करने का था। वह जमीन आसमान समुद्र हर जगह जाना चाहती थी।
शायद इसीलिए मई 1987 में अमरीकी नेवल अकेडमी के माध्यम से वे नौसेना से जुड़ी और बाद वह हेलीकॉप्टर पायलट बन गई। 6 महीने की अस्थायी नियुक्ति (नेवल तटवर्ती कमांड में) के बाद उन्हें ‘बेसिक डाइविंग ऑफिसर’ के तौर पर नियुक्ति किया गया। उसके बाद उन्हें नेवल एयर ट्रेनिंग कमांड में रखा गया और जुलाई 1989 में उन्हें नेवल एवियेटर का पद दिया गया।
इसके बाद में उनकी नियुक्ति ‘हेलीकॉप्टर काम्बैट सपोर्ट स्क्वाड्रन’ में की गयी। सुनीता विलियम ने अपनी प्रारंभिक ट्रेनिंग की शुरुआत हेलीकॉप्टर कॉम्बैट सपोर्ट स्क्वाड्रन 3 (एचसी -3) में H -46 सागर – नाइट से की थी।
जिसके बाद सुनीता विलियम को नॉरफ़ॉक, वर्जीनिया में हेलीकॉप्टर कंबाट सपोर्ट स्क्वाड्रन 8 (एचसी -8) की जिम्मेदारी सौंपी दी गई थी। आपको बता दें कि इस दौरान सुनीता विलियम को कई जगह पोस्ट किया गया। भूमध्यसागर, रेड सी और पर्शियन गल्फ में उन्होंने ‘ऑपरेशन डेजर्ट शील्ड’ और ‘ऑपरेशन प्रोवाइड कम्फर्ट’ के दौरान काम किया।
सितम्बर 1992 में उन्हें H-46 टुकड़ी का-ऑफिसर-इन-चार्ज बनाकर मिआमि (फ्लोरिडा) भेजा गया। आपको बता दें कि इस टुकड़ी को ‘हरिकेन एंड्रू’ से सबंधित रहते काम के लिए भेजा गया था। साल 1993 के जनवरी महीने में सुनीता ने ‘यू.एस. नेवल टेस्ट पायलट स्कूल’ में अपने अभ्यास की शुरुआत की और दिसम्बर में उन्होंने ये कोर्स पूरा कर लिया। दिसम्बर 1995 में उन्हें ‘यू.एस. नेवल टेस्ट पायलट स्कूल’ में ‘रोटरी विंग डिपार्टमेंट’ में प्रशिक्षक और स्कूल के सुरक्षा अधिकारी के तौर पर भेजा गया।
वहां उन्होंने यूएच-60, ओएच-6 और ओएच-58 जैसे हेलिकॉप्टर्स में उड़ान भरी। इसके बाद उन्हें यूएसएस सैपान पर वायुयान संचालक और असिस्टेंट एयर बॉस के तौर पर भी भेजा गया। इस दौरान सुनीता ने 30 अलग-अलग विमानों से 3,000 घंटे तक उड़ान भरकर लोगों को हैरत में भी डाल दिया था।
नासा करियर
सुनीता विल्लिअम्स का एस्ट्रोनॉट कैंडिडेट प्रशिक्षण ‘जॉनसन स्पेस सेण्टर में अगस्त 1998 में प्रारंभ हुआ। 9 दिसम्बर 2006 में सुनीता को अंतरिक्षयान ‘डिस्कवरी’ से ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र’ भेजा गया जहाँ उन्हें एक्सपीडिशन-14 दल में शामिल होना था। अप्रैल 2007 में रूस के अंतरिक्ष यात्री बदले गए जिससे ये एक्सपीडिशन-15 हो गया। एक्सपीडिशन-14 और 15 के दौरान उन्होंने तीन स्पेस वाक किये। 6 अप्रैल 2007 को उन्होंने अंतरिक्ष में ही ‘बोस्टन मैराथन’ में भाग लिया और 4 घंटे 24 मिनट में पूरा किया। अंतरिक्ष में मैराथन में दौड़ने वाली वे पहली व्यक्ति बन गयीं। २२ जून 2007 को वे पृथ्वी पर वापस आ गयीं।
सन 2012 में सुनीता एक्सपीडिशन 32 और 33 से जुड़ीं। उन्हें 15 जुलाई 2012 को बैकोनुर कोस्मोड्रोम से अंतरिक्ष में भेजा गया। उनका अंतरिक्ष यान सोयुज़ ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र’ से जुड़ गया। वे 17 सितम्बर 2012 में एक्सपीडिशन 33 की कमांडर बनायी गयीं। ऐसा करने वाली वे सिर्फ दूसरी महिला हैं। सितम्बर 2012 में ही उन्होंने अंतरिक्ष में त्रैथलों करने वाला पहला व्यक्ति बनीं। 19 नवम्बर को सुनीता विल्लिअम्स पृथ्वी पर वापस लौट आयीं।
सुनीता विलयम्स की पहली अंतरिक्ष उड़ान –
सुनीता विलियम्स का बचपन से ही अंतरिक्ष में उड़ान भरने का सपना 9 दिसंबर 2006 को पूरा हुआ। जब उन्होनें अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा की। आपको बता दें कि कि उनकी ये पहली अंतरिक्ष उड़ान स्पेस शटल डिस्कवरी के माध्यम से शुरु हुई। अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा के दौरान भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष में कुल 321 दिन 17 घन्टे और 15 मिनट का समय बिताया।
सुनीता विलियम अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के स्थायी अंतरिक्ष यात्री दल की वे फ्लाइट इंजीनियर थी बाद में वे स्थायी अंतरिक्ष यात्री दल-15 की भी फ्लाइट इंजीनियर बनीं। इसके साथ ही वे अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की कमांडर बनने वाली दुनिया की दूसरी महिला भी हैं। वहीं आपको बता दें कि अपने दूसरी अंतरिक्ष उड़ान के दौरान सुनीता विलियम्स ने तीन स्पेस वॉक कीं हैं।
रस्कार और सम्मान
सुनीता विलियम्स नौसेना पोत चालक, हेलीकाप्टर पायलट, पेशेवर नौसैनिक, पशु-प्रेमी, मैराथन धाविका और अंतरिक्ष यात्री एवं विश्व-कीर्तिमान धारक हैं। अपने कार्यक्षेत्र में उपलब्धियों के लिए उन्हें कई सम्मान मिले हैं।
नेवी कमेंडेशन मेडल
नेवी एंड मैरीन कॉर्प एचीवमेंट मेडल
ह्यूमैनिटेरियन सर्विस मेडल
मैडल फॉर मेरिट इन स्पेस एक्स्पलोरेशन
सन 2008 में भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया
सन 2013 में गुजरात विश्वविद्यालय ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की
सन 2013 में स्लोवेनिया द्वारा ‘गोल्डन आर्डर फॉर मेरिट्स’ प्रदान किया गया
Biography of Sunita Williams in Hindi – सुनीता विलियम्स का जीवन परिचय
रविवार, 21 जुलाई 2019
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Biography of Sunita Williams in Hindi – सुनीता विलियम्स का जीवन परिचय
Sunita Williams
प्रारंभिक जीवन
सुनीता विलियम्स का जन्म अमेरिका के ओहायो राज्य के यूक्लिड शहर में 19 सितंबर, 1965 में हुआ था। उनके पिता डॉ दीपक पंड्या सन 1964 में भारत से अमेरिका चले गए थे। उनकी माता उर्सुलीन बोनी पंड्या स्लोवेन-अमेरिकी मूल की हैं। अपने तीन भाई-बहनों में सुनीता सबसे छोटी हैं। उनके भाई जय थॉमस पंड्या उनसे चार साल बड़े हैं और उनकी बहन डायना अन्ना तीन साल।
सुनीता के पिता डॉ दीपक पंड्या का सम्बन्ध भारतीय राज्य गुजरात के मेहसाना जिले से हैं जहाँ उनका जन्म झुलासन में हुआ था जबकि उनकी माता के परिवार का सम्बन्ध स्लोवेनिया से है।
विलियम्स ने मस्साचुत्तेस (नीधम) के नीधम हाई स्कूल से सन 1983 में स्कूल की पढ़ाई पूरी की और सन 1987 में ‘यूनाइटेड स्टेट्स नेवल अकैडमी’ से फिजिकल साइंस में स्नातक किया। इसके पश्चात उन्होंने फ्लोरिडा इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से सन 1995 में ‘इंजिनीरिंग प्रबंधन’ में स्नातकोत्तर किया।
अंतरिक्ष में “भगवत गीता” साथ ले गईं थी सुनीता विलियम्स –
सुनीता विलियम भगवान के प्रति भी खासी आस्था रखने वालों में से एक हैं वे हिन्दुओं के सर्वोच्च भगवान भगवान गणेश जी की आराधना में यकीन रखती हैं। साथ ही ये भी कहा जाता है कि वे अपनी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान हिन्दुओं का धार्मिक ग्रन्थ भगवद् गीता भी ले गईं थी जिससे वे खाली समय में पढ़ना पसंद करती हैं। और भगवत गीता के उपदेशों को अपनी असल जिंदगी में अपनाना चाहती हैं जिससे भगवान का आशीर्वाद उन पर हमेशा बना रहे। इसके साथ ही सुनीता विलियम्स सोसाइटी ऑफ़ एक्सपेरिमेंटल टेस्ट पायलट की सदस्य भी रही हैं।
सुनीता विलियम्स की शादी – Sunita Williams Marriage
आपको बता दें कि जब वे 1995 में Florida Institute of Technology से M.Sc. Engineering Mgmt. की शिक्षा हासिल कर रही थी तभी उनकी मुलाकात माइकल जे. विलियम्स से हुई। वे दोनों पहले दोस्त बने और उनकी ये दोस्ती प्यार में बदल गई जिसके बाद दोनों ने एक-दूसरे से शादी करने का फैसला लिया इस तरह दोनो की शादी हो गई।
आपको बता दें कि माइकल जे. विलियम एक नौसेना पोत चालक, हेलीकाप्टर पायलट, परिक्षण पायलट, पेशेवर नौसैनिक और गोताखोर भी है।
1987 में नौसेना से जुड़ीं सुनीता विलियम्स – Sunita Williams Career
भारतीय मूल की अमेरिकी नौसेना की कैप्टन सुनीता बाकी लड़िकयों से अलग थी। उनका बचपन से सपना कुछ अलग करने का था। वह जमीन आसमान समुद्र हर जगह जाना चाहती थी।
शायद इसीलिए मई 1987 में अमरीकी नेवल अकेडमी के माध्यम से वे नौसेना से जुड़ी और बाद वह हेलीकॉप्टर पायलट बन गई। 6 महीने की अस्थायी नियुक्ति (नेवल तटवर्ती कमांड में) के बाद उन्हें ‘बेसिक डाइविंग ऑफिसर’ के तौर पर नियुक्ति किया गया। उसके बाद उन्हें नेवल एयर ट्रेनिंग कमांड में रखा गया और जुलाई 1989 में उन्हें नेवल एवियेटर का पद दिया गया।
इसके बाद में उनकी नियुक्ति ‘हेलीकॉप्टर काम्बैट सपोर्ट स्क्वाड्रन’ में की गयी। सुनीता विलियम ने अपनी प्रारंभिक ट्रेनिंग की शुरुआत हेलीकॉप्टर कॉम्बैट सपोर्ट स्क्वाड्रन 3 (एचसी -3) में H -46 सागर – नाइट से की थी।
जिसके बाद सुनीता विलियम को नॉरफ़ॉक, वर्जीनिया में हेलीकॉप्टर कंबाट सपोर्ट स्क्वाड्रन 8 (एचसी -8) की जिम्मेदारी सौंपी दी गई थी। आपको बता दें कि इस दौरान सुनीता विलियम को कई जगह पोस्ट किया गया। भूमध्यसागर, रेड सी और पर्शियन गल्फ में उन्होंने ‘ऑपरेशन डेजर्ट शील्ड’ और ‘ऑपरेशन प्रोवाइड कम्फर्ट’ के दौरान काम किया।
सितम्बर 1992 में उन्हें H-46 टुकड़ी का-ऑफिसर-इन-चार्ज बनाकर मिआमि (फ्लोरिडा) भेजा गया। आपको बता दें कि इस टुकड़ी को ‘हरिकेन एंड्रू’ से सबंधित रहते काम के लिए भेजा गया था। साल 1993 के जनवरी महीने में सुनीता ने ‘यू.एस. नेवल टेस्ट पायलट स्कूल’ में अपने अभ्यास की शुरुआत की और दिसम्बर में उन्होंने ये कोर्स पूरा कर लिया। दिसम्बर 1995 में उन्हें ‘यू.एस. नेवल टेस्ट पायलट स्कूल’ में ‘रोटरी विंग डिपार्टमेंट’ में प्रशिक्षक और स्कूल के सुरक्षा अधिकारी के तौर पर भेजा गया।
वहां उन्होंने यूएच-60, ओएच-6 और ओएच-58 जैसे हेलिकॉप्टर्स में उड़ान भरी। इसके बाद उन्हें यूएसएस सैपान पर वायुयान संचालक और असिस्टेंट एयर बॉस के तौर पर भी भेजा गया। इस दौरान सुनीता ने 30 अलग-अलग विमानों से 3,000 घंटे तक उड़ान भरकर लोगों को हैरत में भी डाल दिया था।
नासा करियर
सुनीता विल्लिअम्स का एस्ट्रोनॉट कैंडिडेट प्रशिक्षण ‘जॉनसन स्पेस सेण्टर में अगस्त 1998 में प्रारंभ हुआ। 9 दिसम्बर 2006 में सुनीता को अंतरिक्षयान ‘डिस्कवरी’ से ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र’ भेजा गया जहाँ उन्हें एक्सपीडिशन-14 दल में शामिल होना था। अप्रैल 2007 में रूस के अंतरिक्ष यात्री बदले गए जिससे ये एक्सपीडिशन-15 हो गया। एक्सपीडिशन-14 और 15 के दौरान उन्होंने तीन स्पेस वाक किये। 6 अप्रैल 2007 को उन्होंने अंतरिक्ष में ही ‘बोस्टन मैराथन’ में भाग लिया और 4 घंटे 24 मिनट में पूरा किया। अंतरिक्ष में मैराथन में दौड़ने वाली वे पहली व्यक्ति बन गयीं। २२ जून 2007 को वे पृथ्वी पर वापस आ गयीं।
सन 2012 में सुनीता एक्सपीडिशन 32 और 33 से जुड़ीं। उन्हें 15 जुलाई 2012 को बैकोनुर कोस्मोड्रोम से अंतरिक्ष में भेजा गया। उनका अंतरिक्ष यान सोयुज़ ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र’ से जुड़ गया। वे 17 सितम्बर 2012 में एक्सपीडिशन 33 की कमांडर बनायी गयीं। ऐसा करने वाली वे सिर्फ दूसरी महिला हैं। सितम्बर 2012 में ही उन्होंने अंतरिक्ष में त्रैथलों करने वाला पहला व्यक्ति बनीं। 19 नवम्बर को सुनीता विल्लिअम्स पृथ्वी पर वापस लौट आयीं।
सुनीता विलयम्स की पहली अंतरिक्ष उड़ान –
सुनीता विलियम्स का बचपन से ही अंतरिक्ष में उड़ान भरने का सपना 9 दिसंबर 2006 को पूरा हुआ। जब उन्होनें अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा की। आपको बता दें कि कि उनकी ये पहली अंतरिक्ष उड़ान स्पेस शटल डिस्कवरी के माध्यम से शुरु हुई। अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा के दौरान भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष में कुल 321 दिन 17 घन्टे और 15 मिनट का समय बिताया।
सुनीता विलियम अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के स्थायी अंतरिक्ष यात्री दल की वे फ्लाइट इंजीनियर थी बाद में वे स्थायी अंतरिक्ष यात्री दल-15 की भी फ्लाइट इंजीनियर बनीं। इसके साथ ही वे अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की कमांडर बनने वाली दुनिया की दूसरी महिला भी हैं। वहीं आपको बता दें कि अपने दूसरी अंतरिक्ष उड़ान के दौरान सुनीता विलियम्स ने तीन स्पेस वॉक कीं हैं।
रस्कार और सम्मान
सुनीता विलियम्स नौसेना पोत चालक, हेलीकाप्टर पायलट, पेशेवर नौसैनिक, पशु-प्रेमी, मैराथन धाविका और अंतरिक्ष यात्री एवं विश्व-कीर्तिमान धारक हैं। अपने कार्यक्षेत्र में उपलब्धियों के लिए उन्हें कई सम्मान मिले हैं।
नेवी कमेंडेशन मेडल
नेवी एंड मैरीन कॉर्प एचीवमेंट मेडल
ह्यूमैनिटेरियन सर्विस मेडल
मैडल फॉर मेरिट इन स्पेस एक्स्पलोरेशन
सन 2008 में भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया
सन 2013 में गुजरात विश्वविद्यालय ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की
सन 2013 में स्लोवेनिया द्वारा ‘गोल्डन आर्डर फॉर मेरिट्स’ प्रदान किया गया
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मैंने भी हिंदी में राजस्थानी सिंगर सुनीता स्वामी की बायोग्राफी लिखी है। एक बार इसे अवश्य पढ़े।
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